सचिन वाझे की सोसाइटी के CCTV में एंटीलिया के बाहर बम बरामदगी का राज? क्यों उनकी टीम ले गई फुटेज?

मुकेश अंबानी के घर के बाहर मिली विस्फोटक भरी कार और हिरेन मनसुख की कथित हत्या के केस में गिरफ्तार किए गए मुंबई पुलिस के असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर सचिन वाझे की सोसायटी की सीसीटीवी फुटेज को लेकर नया विवाद छिड़ गया है। साकेत कॉम्पलेक्स के निवासियों का कहना है कि 27 फरवरी को सोसायटी कमिटी को सूचना दिए बगैर क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट (CIU) के चार अधिकारी यहां से पूरे नेटवर्क वीडियो रिकॉर्डर (NVR) को ले गए। बता दें, कि उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक वाली कार 25 फरवरी को बरामद हुई थी। यानी एनवीआर को इस घटना के ठीक दो दिन बाद ले जाया गया।

पुलिस के मुताबिक CIU के इन चार अधिकारियों में रियाजुद्दीन काजी भी शामिल थे और उन्होंने कुछ दिनों पहले सोसायटी चेरयमैन और सेक्रेटरी को लेटर लिखकर फुटेज की मांग की थी। इसकी एक कॉपी एचटी के पास है। वाझे उस समय CIU के हेड थे। इस टीम ने कथित तौर पर सोसायटी के चेयरमैन और सेक्रेटरी से एनवीआर लिया। इसके दो दिन बाद सोसायटी ने सिक्यॉरिटी कॉन्ट्रैक्टर को हटा दिया।

एक और चौंकाने वाला खुलासा यह हुआ है कि सोसायटी ने 4 मार्च की शाम को राबोडी पुलिस स्टेशन को एक लेटर लिखा था, उसी दिन मनसुख हिरेन लापता हुए थे। मुकेश अंबानी के घर के बाहर मिली विस्फोटक वाली कार का खुद को मालिक बताने वाले हिरेन मनसुख का शव 5 मार्च को बरामद हुआ था।

सोसायटी के एक सदस्य ने पहचान गोपनीय रखने की शर्त पर कहा, ”टीम ने सीसीटीवी फुटेज की मांग की थी। सिक्यॉरिटी कॉन्ट्रैक्टर ने पूरा एनवीआर चार अधिकारियों को सौंप दिया। दो दिन बाद कॉन्ट्रैक्टर को सोसायटी ने हटा दिया और दावा किया गया कि उसका काम संतोषजनक नहीं है। कमिटी के अन्य सदस्यों को यह नहीं पता था कि एनवीआर सौंप दिया गया है।”

उन्होंनने आगे कहा कि अचानक 4 मार्च को सोसायटी ने फैसला लिया कि पुलिस को सूचना दी जाए कि सीआईयू ने सीसीटीवी फुटेज लिया है। राबोडी पुलिस अधिकारियों ने लेटर की पुष्टि की है। अधिकारी ने कहा, ”सोसायटी के सदस्यों ने हमें लिखित में दिया है कि 27 मार्च को CIU के असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर, मुंबई हमारी सोसायटी में आए और कुछ जांच के लिए सोसायटी की सीसीटीवी फुटेज ले गए। जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हम इसकी जानकारी पुलिस टीम को दे रहे हैं।”

दूसरी तरफ वाझे की लीगल टीम ने कहा है कि एनआईए ने रिमांड कॉपी भी नहीं दी है। उनकी गिरफ्तारी को लेकर पूरी जानकारी नहीं दी गई है और ये दावे झूठे हैं।

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