लिंक पर क्लिक करते ही बैंक खाते से पैसे साफ, न करें ऐसी चूक, Cyber Crime से बचना है तो बरतें ये सावधानियां

प्रयागराज, । दो दिन पहले तक प्रीतम नगर कॉलोनी में रहने वाले प्रतीक सिन्हा के चेहरे पर मुस्कुराहट बनी रहती थी। फार्मा कंपनी में एरिया मैनेजर की नौकरी के अलावा एक  बिजनेस में पाटर्नरशिप से उन्हें अच्छे खासे पैसे मिल रहे थे। मगर एक फोन कॉल ने उनकी खुशी छीन ली। लकी ड्रा में दो करोड़ रुपये मिलने के लालच में उन्होंने एक लिंक पर क्लिक किया और फिर ओटीपी भी बताने पर देखते ही देखते उनके बैंक खाते से 17 लाख रुपये कटते चले गए। अब वह समझ नहीं पा रहे कि क्या करें। घरवालों की फटकार के डर से उन्होंने थाने में शिकायत नहीं की। एक परिचित पुलिस अधिकारी से दुखड़ा रोया तो उन्हें साइबर क्राइम थाने में केस लिखाने की सलाह की क्योंकि यह इंटरनेट से ठगी का मामला है।

रोज हो रहे कई लोग शिकार, पढ़े-लिखे हाइटेक भी फंस रहे चंगुल में

प्रतीक उन हजारों लोगों में एक हैं जो पिछले कुछ महीनों में साइबर जगत में सक्रिय हाइटेक ठगों का शिकार हो चुके हैं। और अजब बात यह है कि इनके चंगुल में सीधे सादे या अनपढ़ ही नहीं बल्कि उच्च शिक्षित और समझदार माने जाने वाले शख्स भी फंस रहे हैं। वजह कभी लालच तो कभी जानकारी की कमी। अब एक पूर्व प्रोफेसर के ही मामले पर गौर करिए। कर्नलगंज इलाके में रहने वाले प्रोफेसर को कॉल आई कि उनका डेबिट कार्ड बंद होने वाला है। रिन्यूअल कराने के लिए कार्ड की डीटेल फौरन बताएं वरना फिर दिक्कत होगी। प्रोफेसर जी ने बैंक अकाउंट और डेबिट कार्ड नंबर के साथ सीवीवी और ओटीपी वगैरह सब बेहिचक बता दिया। अगले दस मिनट में उनके खाते से साढ़े चार लाख रुपये ट्रांसफर कर लिए गए। यहां प्रोफेसर की चूक यह है कि बैंकों से लगातार प्रचार माध्यमों के जरिए बताया जा रहा है कि बैंकों द्वारा फोन या एसएमएस से कार्ड की डीटेल नहीं पूछी जाती है और अगर कोई कॉल कर इस बारे में पूछता है तो उसे कुछ भी नहीं बताएं क्योंकि यह फ्राड हो सकता है। मगर प्रोफेसर साहब ने इस सलाह की अनदेखी की और पैसे गंवा दिए। प्रोफेसर ही नहीं, पिछले दिनों ममफोर्डगंज में रहने वाले डॉक्टर,  सिविल लाइंस में रेलवे इंजीनियर, कई शिक्षक, कारोबारी और यहां तक कि पुलिस अधिकारी भी साइबर क्राइम के जाल में फंस चुके हैं। धूमनगंज इलाके में रहने वाले पीएसी के एक सिपाही को केबीसी के लकी ड्रा का लालच दिखाकर फोन के जरिए ही साढ़े तीन लाख की चपत लगा दी गई थी।

जाल में फंसाने के तरह तरह के बहाने 

एसपी सिटी प्रयागराज दिनेश सिंह का कहना है कि साइबर क्राइम के शातिर कई तरह से लोगों की कमाई उड़ाते हैं। उनमें से प्रमुख तरीके यह हैं जिन पर ध्यान देकर आपको सावधानी बरतनी चाहिए –

– कार्ड क्लोनिंग यानी धोखे से डेबिट या क्रेडिट कार्ड को स्कैन कर डुप्लीकेट कार्ड बनाकर पैसे उड़ाना

एसएमएमएस या वाट्स एप पर इनाम का लिंक भेजा और आपने क्लिक किया तो बैंक खाता साफ

– एटीएम बूथ में पैसे निकालने में मदद करने के बहाने कार्ड बदलकर शातिर उड़ा देते हैं मोटी रकम

– फोन पर खुद को बैंक अफसर बताकर कार्ड रिन्यूअल का झांसा देकर खाते से पैसे निकालते हैं जालसाज

– फिशिंग यानी लकी ड्रा समेत अन्य लालच दिखाकर कार्ड का डीटेल लेने के बाद लोगों को चूना लगाना

विदेश से फंड ट्रांसफर करने का झांसा देकर प्रोसेसिंग मनी के तौर पर 10 फीसद पैसे हड़पना

हर साल 12 से 15 फीसद बढ़ रहे हैं केस

पिछले दस साल का ट्रेंड देखें तो जैसे जैसे देश में डिजिटल ट्रांजेक्शन बढ़ रहा है वैसे वैसे साइबर ठगी का खतरा भी बढ़ रहा है। हालांकि यह भी सच है कि बैंक और यूपीआई आपके पैसों की सेक्योरिटी के लिए मजबूत सुरक्षा तंत्र भी इस्तेमाल करती हैं मगर साइबर क्रिमिनल इसमें लूप होल खोज लेते हैं और लापरवाही भी आपकी ही रहती है। यूजर्स की इसी लापरवाही की वजह से साइबर क्राइम में 10 से 12 फीसद का इजाफा होता जा रहा है।

साइबर क्राइम थाना कस रहा है शिकंजा

साल दर साल बढ़ रहे इंटरनेट फ्राड की वजह से ही जिलों में पहले साइबर सेल खोले गए और अब तो बकायदा प्रमुख महानगरों में साइबर क्राइम थाना भी स्थापित कर दिया गया है। प्रयागराज में आइजी कार्यालय स्थित साइबर क्राइम थाने के प्रभारी राजीव तिवारी का कहना है कि थाना स्थापित होने के बाद से कई बड़े साइबर क्राइम केस को वर्कआउट किया गया है। कुछ समय पहले साइबर सेल ने बिहार के शातिर गिरोह के गणेश मंडल को गिरफ्तार किया था जिसने अपने जालसाज साथियों की मदद से अशोक नगर की मेडिकल काउंसलर को केवाईसी अपडेट करने के नाम पर 10 लाख रुपये की चपत लगा दी थी। इसके अलावा 29 जनवरी को साइबर थाने की पुलिस ने होमोसेक्सुअल लोगों को फंसाकर पैसे उड़ाने वाले शातिर जौनपुर के रजनीश को गिरफ्तार कर अ़ॉनलाइन ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। ऐसे कई गिरोह साइबर थाने की पुलिस के राडार पर हैं। तमाम संदिग्ध साइबर शातिरों के मोबाइल फोन को लगातार ट्रैक किया जा रहा है।

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