UPDATE : यमुना प्राधिकरण के डीजीएम प्रोजेक्ट गिरफ्तार

ग्रेटर नोएडा : यमुना प्राधिकरण के चेयरमैन व मेरठ के मंडलायुक्त ने सोमवार को डीजीएम प्रोजेक्ट यमुना प्राधिकरण को अपने कार्यालय में बुलाकर गिरफ्तार करवा दिया।

डीजीएम प्रोजेक्ट पर केंद्रीय मंत्री, प्रमुख सचिव (औद्योगिक) और चेयरमैन के खिलाफ रिश्वत लेने की झूठी शिकायत शासन से करने का आरोप है। कासना कोतवाली पुलिस डीजीएम से पूछताछ कर रही है। पूछताछ में कई और अफसरों के नाम सामने आ सकते है।चेयरमैन डॉ. प्रभात कुमार ने बताया कि प्राधिकरण में जीएम प्रोजेक्ट का पद एक साल से खाली पड़ा है। इस पर तैनाती की प्रक्रिया चल रही थी। बागपत के ग्रामीण अभियंत्रण सेवा में अधिशासी अभियंता के पद पर तैनात देवेंद्र सिंह बालियान का नाम शासन को भेजा गया था। जिसके बाद चार लोगों ने शासन स्तर पर शिकायत की। आरोप लगाया कि प्रमुख सचिव औद्योगिक और चेयरमैन तीन करोड़ रुपये की रिश्वत लेकर जीएम प्रोजेक्ट की तैनाती कर रहे हैं।

शिकायत में कहा गया कि केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान की सिफारिश पर देवेन्द्र सिंह को यहां तैनात किया जा रहा है। सरकार स्तर पर शिकायतों की जांच करवाई गई। साथ ही प्राधिकरण स्तर पर भी जांच की गई। जांच में सभी आरोप झूठे निकले। शिकायतकर्ता भी फर्जी निकले। इसमें प्राधिकरण के अफसर के शामिल होने का शक था। इस पर 11 अगस्त को कासना कोतवाली में चारों शिकायतकर्ता और अज्ञात प्राधिकरण अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई गई । पुलिस की जांच में पता चला कि शिकायत पोर्टल आईजीआरएस पर जिस व्यक्ति ने शिकायत की थी, उसके और डीजीएम एके सिंह के बीच मोबाइल पर कई बार बातचीत हुई है।आज पुलिस ने इसकी जानकारी दी। चेयरमैन डॉ. प्रभात कुमार ने आज दोपहर में डीजीएम प्रोजेक्ट एके सिंह को अपने कार्यालय में बुलाया। वहां पर कासना कोतवाली पुलिस पहले से मौजूद थी। पुलिस ने तत्काल डीजीएम एके सिंह को गिरफ्तार कर कोतवाली ले गई। कोतवाली में डीजीएम से पूछताछ की जा रही है।

वर्ष 2015 में सीनियर मैनेजर के पद पर हुई थी नियुक्ति

डीजीएम एके सिंह गाजियाबाद के नगर निगम में भी अधिशासी अभियंता के पद पर थे। 28 दिसंबर, 2015 को प्रतिनियुक्ति पर यमुना प्राधिकरण में सीनियर मैनेजर के पद पर उनकी तैनाती हुई थी। तत्कालीन सीईओ संतोष कुमार यादव ने उनकी तैनाती का पत्र शासन को भेजा था। 15 दिसंबर, 2016 को मूल विभाग में प्रमोशन हुआ था। स्केल के आधार पर वे डीजीएम प्रोजेक्ट पद के पात्र हो गए। एके सिंह को डीजीएम प्रोजेक्ट के पद का प्रभार दे दिया गया।

डीजीएम एके सिंह की गिरफ्तारी की जानकारी किसी को भी नहीं थी। चेयरमैन ने पुलिस को बुलाया लिया था। गिरफ्तारी से पहले एके सिंह बोर्ड रूम में चल रही स्टाफ मीटिंग में बैठे थे, उन्हें चेयरमैन ने बुलवाया।

गिरफ्तारी के बाद सीईओ वापस बैठक में पहुंचे गए। उन्होंने किसी को नहीं बताया। बाद में जब सोशल मीडिया पर गिरफ्तारी की सूचना चली तो सभी को इसका पता लगा। उसके बाद मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने सभी को गिरफ्तारी होने की बात बताई। प्रा

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