मेहंदी लगाने वालों हाथों ने जीता शूटिंग का खिताब

महिला को आगे बढ़ाने पर एक परिवार का ही विकास नहीं होता, बल्कि विकास होता है एक समाज का, विकास होता है एक देश का. महिला की क्षमता को नज़रअंदाज करना मतलब समाज की प्रगति में बाधा पैदा करना. शिक्षा और महिला शक्ति के बिना परिवार, समाज और देश का विकास नहीं हो सकता. महिला शक्ति उदाहरण बनी हैं वाराणसी की पूजा. उन्होंने छोटे से कमरे में रह कर बड़े सपने देखे और उन्हें पूरा भी किया. पेश है पूजा की जीत पर एक खास रिपोर्ट…

वाराणसी: जिले के बेहद ही गरीब परिवार की बेटी पूजा वर्मा ने अपने सपने को सच करने के लिए कड़ी मेहनत की. इसी मेहनत की वजह से पूजा ने नोएडा स्टेडियम शूटिंग रेंज में आयोजित 43वीं यूपी स्टेट शूटिंग चैंपियनशिप में सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त किया है. उन्होंने यह स्थान 50 मीटर राइफल प्रोन शूटिंग अंतरराष्ट्रीय मानक 609.8 के साथ प्राप्त किया है. इसके साथ ही वह यूपी की महिला निशानेबाजों में 610 पॉइंट के साथ प्रदेश की नंबर 1 निशानेबाज बन गई हैं.

पूरे मोहल्ले में मना जश्न

पूजा ने 4 मार्च को नोएडा में कंपटीशन में तीन गोल्ड मेडल जीते हैं. इसकी सूचना मिलते ही पूरे क्षेत्र में हर्ष का माहौल था. पूजा मेडल जीतने के बाद मोहल्ले में पहुंचीं तो लोगों ने ढोल नगाड़े के साथ माला पहना कर उनका स्वागत किया. सभी ने मिठाई खिलाई और उन्हें बधाई दी. सभी ने पूजा की मेहनत और उसके हौसले को सलाम किया.

मां घरों में बनाती हैं खाना

पूजा की मां सावित्री ने कहा कि हम भगवान से यही प्रार्थना करते हैं कि सब की बेटियां इसी तरह आगे बढ़ें. मुझे बेटी ने फोन करके इसकी सूचना दी थी. उस समय हम नौकरी कर रहे थे. पिछले 17 सालों से हम घरों में जाकर खाना बनाते हैं. हम लोगों के जीवन में कई उतार-चढ़ाव आए हैं, लेकिन हम लोग कभी पीछे नहीं हटे. हमारी बेटी परिश्रमी रही है. हमारी बेटी पूजा लोगों को स्कूटी सिखाती है. घर-घर जाकर मेहंदी लगाती है.

पिता पेशे से हैं ड्राइवर

नंदलाल मौर्या ने बताया कि मुझे बहुत ही खुशी है कि मेरी बेटी ने अपनी मेहनत से ये मुकाम हासिल किया है. हमारे पड़ोसी ने आकर मुझे यह जानकारी दी. भगवान इसी तरह हमारी बेटी को आगे बढ़ाएं. वो आगे चलकर देश का नाम रोशन करें. हम ड्राइवर हैं ड्राइवरी का काम करते हैं. हमें जो मेहनत का पैसा मिलता है उसी से घर चलता है.

खूब करती है मेहनत

विपल्व गोस्वामी ने बताया कि 2017 से मैं पूजा को जानता हूं. हर प्रकार से गुरु अपने शिष्य का अच्छा भविष्य चाहता है. पूजा ने दो बार इंडिया टीम का ट्रायल भी दिया है. जब स्टूडेंट गोल्ड लाता है तो गुरु को बहुत खुशी होती है. जब पूजा ने मेडल पहना तो मैं स्टेडियम से बाहर चला गया. मेरी आंखें पूरी तरह नम थीं. एक कोच को अपने शिष्य के सामने नहीं रोना चाहिए, लेकिन यह मेरे लिए बहुत ही गर्व का पल रहा. पूजा दिन में 4 घंटे से ज्यादा मेहनत करती हैं. टूर्नामेंट के समय तो 8 घंटे मेहनत करती हैं.

गोली खरीदने का भी नहीं रहता था पैसा

विपल्व गोस्वामी ने बताया कि शूटिंग के लिए हमारे पास गोली खरीदने के लिए भी पैसा नहीं रहता. जहां पर 5 राउंड फायरिंग करनी होती थी, वहां पर हम लोग एक ही राउंड फायरिंग करते थे. घंटों तक फायरिंग की पोजीशन पर लेट कर और बैठ कर प्रैक्टिस करते थे. ये केवल इसलिए करते थे कि हाथ न हिले और एक सिचुएशन बना रहे. हम लोग ड्राइव होल्डिंग करते थे. एक हफ्ते प्रैक्टिस की जाती है. उसके बाद एक दिन गोली चलाते हैं. कम खर्चे और ज्यादा मेहनत से पूजा को यह मुकाम मिला है.

200 लोगों ने लिया था भाग

पूजा वर्मा ने बताया कि नोएडा में 43वीं यूपी स्टेट शूटिंग चैंपियनशिप 50 मीटर राइफल में मैंने हिस्सा लिया था. इसमें मुझे गोल्ड मिला है. इसमें लगभग 200 लोग पूरे उत्तर प्रदेश से शामिल हुए थे. इसमें मेरा पहला स्थान रहा.

एनसीसी कैडेट के रूप में की शुरुआत

पूजा ने बताया कि जब मैं एनसीसी कैडेट थी, तब से मुझे इसका शौक था. उस समय भी सब लोग बोलते थे कि मैं बहुत अच्छा खेल रही हूं. मुझे आगे खेलते रहना चाहिए. 2013 में सबसे पहली बार मैंने नेशनल खेला. उसके बाद पैसे की कमी के कारण मैंने अपना खेल कुछ दिनों के लिए ड्रॉप कर दिया था.

घरों में जाकर लगाया मेहंदी

पूजा ने बताया यह खेल बहुत ही महंगा था और घर वालों के पास इतना पैसा नहीं था. तब मैंने अपने इस खेल को जारी रखने के लिए घरों में जाकर मेहंदी लगाना शुरू किया. लोगों के घरों जाकर मैं उनके हाथों में मेहंदी लगाती थी. उससे मुझे जो पैसा मिलता था, वह मैं अपने खेल में यूज करती थी.

लोगों से कर्ज लेकर ली बंदूक

पूजा ने बताया कि पैसे जुटाकर 2015 में मैंने नेशनल खेला, लेकिन पैसे की कमी के कारण मुझे गेम छोड़ना पड़ा. मैंने यह बात अपने पापा को बताई. उन्होंने इस पर मम्मी से बात की. मम्मी ने महेंद्र भाई से तीन लाख रुपये और राजन भाई से एक लाख लिए. भाई और पापा ने भी कुछ लोगों से 10 हजार से 15 हजार तक कर्ज लिया. फिर हमने पांच लाख की बंदूक खरीदी.

10 बाई 10 के कमरे में रहता है परिवार

पूजा वर्मा अपने घर में सबसे छोटी हैं. एक बड़ा भाई है. वह कपड़े की दुकान में काम करता है. पूरा परिवार 10 गुणा 10 के छोटे से कमरे में रहता है. यह कमरा इतना छोटा है कि इसमें बेड रखने तक की जगह नहीं है. सब लोग बड़े से बक्से पर ही सोते हैं.

जारी रखी पढ़ाई

पूजा ने बताया कि वह बीपीएड की पढ़ाई कर चुकी हैं. अब वह एमपीएड के साथ ही अप्रैल में होने वाले नेशनल टायर की तैयारी कर रही हैं. उन्हें कहीं से कोई आर्थिक सहायता नहीं मिली है. पूजा राज्य स्तर पर सात स्वर्ण और रजत पदक हासिल कर चुकी हैं.

प्रधानमंत्री से है अपील

पूजा ने कहा कि हम लोग प्रधानमंत्री से यही अपील करना चाहते हैं कि हर एक गरीब लड़की के ऊपर उनका ध्यान जाए. वो उसको आगे बढ़ाएं. पूरी तरीके से जांच करके उन लड़कियों की मदद की जाए. उनकी सहायता की जाए.

ओलंपिक में लाना चाहती है गोल्ड

पूजा वर्मा ने बताया कि मेरा सपना है कि मैं ओलंपिक खेलूं. वहां पर गोल्ड जीतकर अपने शहर का, अपने माता-पिता का और अपने देश का नाम ऊंचा करूं. बस मेरा यही सपना है.

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