पूरी फिल्मी है धनंजय सिंह की कहानी, कभी एनकाउंटर में मार गिराने का पुलिस ने किया था दावा
अजित सिंह हत्याकांड में 25 हजार का इनामी घोषित होने और शुक्रवार को प्रयागराज में सरेंडर करने वाले धनंजय सिंह की कहानी पूरी फिल्मी है। पुलिस ने एक बार धनंजय को एनकाउंटर में मार गिराने का दावा किया था। बाद में धनंजय ने विधानसभा से लेकर संसद तक का सफर तय किया। इस बीच धनंजय के खिलाफ हत्या, रंगदारी, अपहरण जैसी गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज होते रहे। जौनपुर जिले के बनसफा में सामान्य परिवार में जन्मे धनंजय ने जौनपुर के टीडी कॉलेज से छात्र राजनीति की शुरुआत की।
इसके बाद लखनऊ विश्वविद्यालय में मंडल कमीशन का विरोध कर धनंजय ने अपनी छात्र राजनीति को धार दी। लखनऊ विश्वविद्यालय में ही एक नेता के संपर्क में धनंजय आए और फिर हत्या, सरकारी ठेकों से वसूली, रंगदारी जैसे मुकदमों में नाम आने की वजह से धनंजय सुर्खियों में रहे।
1998 तक धनंजय का नाम लखनऊ से लेकर पूर्वांचल तक जरायम की दुनिया में सुर्खियों में आ चुका था और उन पर पुलिस की ओर से 50 हजार का इनाम घोषित हो चुका था। अक्तूबर 1998 में पुलिस ने बताया कि 50 हजार के इनामी धनंजय सिंह और तीन अन्य बदमाशों के साथ भदोही-मिर्जापुर रोड स्थित एक पेट्रोल पंप पर डकैती डालने आए थे।
पुलिस ने तब दावा किया कि मुठभेड़ में धनंजय सहित चारों बदमाश मारे गए हैं। फरवरी 1999 में धनंजय पुलिस के सामने पेश हुए तो भदोही की फर्जी मुठभेड़ का पर्दाफाश हुआ। धनंजय के जिंदा सामने आने पर मानवाधिकार आयोग ने जांच शुरू की और फर्जी मुठभेड़ में शामिल रहे 34 पुलिसकर्मियों पर मुकदमे दर्ज हुए।
धनंजय सिंह पर दिल्ली से लखनऊ तक मुकदमे
धनंजय सिंह पर जौनपुर, लखनऊ और दिल्ली सहित अन्य जगह 40 मुकदमे दर्ज हैं। इनमें सर्वाधिक 19 मुकदमे लखनऊ के विभिन्न थानों में हैं। बीते साल 10 मई को जौनपुर जिले में एसटीपी के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल के अपहरण और रंगदारी के मामले में गिरफ्तार धनंजय सिंह 109 दिन बाद 28 अगस्त को जमानत पर रिहा हुए थे। जेल से छूटने के बाद नवंबर 2020 में धनंजय ने मल्हनी विधानसभा के उपचुनाव में निर्दल प्रत्याशी के तौर पर किस्मत आजमाई और दूसरे स्थान पर रहे।
अजित सिंह हत्याकांड में भूमिका की हो रही जांच
लखनऊ में अजित सिंह हत्याकांड में आजमगढ़ के कुख्यात डी-11 गैंग के सरगना ध्रुव कुमार सिंह उर्फ कुंटू सिंह और अखंड प्रताप सिंह पर आरोप लगा था। गिरधारी विश्वकर्मा उर्फ कन्हैया उर्फ डॉक्टर ने शूटरों के साथ लखनऊ में बीती जनवरी महीने के पहले हफ्ते में लखनऊ में अजित सिंह की हत्या कर दी थी। अजीत सिंह की हत्या में गिरधारी का नाम आते ही पुलिस धनंजय की भूमिका की भी जांच शुरू कर दी थी और साक्ष्य प्रस्तुत करने पर लखनऊ की अदालत ने गिरफ्तार कर पेश करने का आदेश दिया।
जौनपुर के एक मामले में जमानत वापस होने पर सरेंडर किया
पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने प्रयागराज में शुक्रवार को सरेंडर कर दिया। धनंजय सिंह लखनऊ में हुए अजीत सिंह हत्याकांड में 25 हजार के इनामी थे। इस मामले में नाम आने के बाद से वह फरार चल रहे थे। उनके वकील के अनुसार धनंजय ने जौनपुर के खुटहन थाने में दर्ज एक मामले में जमानत तुड़वाकर सरेंडर कर दिया था। वकील के अनुसार उस मामले में धनंजय की जमानत आशुतोष ने ली थी। आशुतोष ने अपनी जमानत वापस लेते हुए कोर्ट को बताया कि उन्होंन धनंजय की जमानत इस शर्त पर ली थी कि वह किसी अन्य अपराध में वांछित नहीं रहेंगे। अब समाचार पत्रों और चैनलों से पता चला कि वह नए अपराध में वांछित हैं, इसलिए अपनी जमानत वापस ले रहा हूं।
गिरधारी के बयान के आधार पर बने आरोपी
पूर्व सांसद धनंजय सिंह को गिरधारी के बयान के आधार पर अजित सिंह हत्याकांड में आरोपी बनाया गया है। गिरधारी की बाद में पुलिस एनकाउंटर में मौत हो गई। इसके साथ ही धनंजय पर एक घायल शूटर राजेश तोमर का लखनऊ और सुलतानपुर में इलाज कराने में मदद करने का भी आरोप है।
धनंजय के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट लेने के बाद पुलिस कई दिन से शांत बैठी हुई थी। पर, बुधवार रात को अचानक धनंजय की तलाश में उसके कुर्सी रोड स्थित आवास, शारदा व सरस्वती अपार्टमेंट में उसके फ्लैट और उसके बेहद करीबी साथी के मालवीय नगर स्थित आवास पर ताबड़तोड़ दबिश दी गई।
पुलिस ने एक बर्खास्त सिपाही के घर भी दबिश दी लेकिन धनंजय का पता नहीं चला। इस दौरान दो ठिकानों से तीन लोगों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। इन तीनों को पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया। पुलिस को अजीत सिंह हत्याकांड में अन्य तीन शूटरों रवि यादव, राजेश तोमर, शिवेंद्र सिंह उर्फ अंकुर की भी तलाश है। वहीं खबर हैै कि एक शूटर मुस्तफा उर्फ बंटी को बागपत पुलिस ने कुछ दिन पहले उत्तराखंड से पकड़ लिया था। पर, उसकी गिरफ्तारी की पुष्टि बागपत पुलिस ने अभी तक नहीं की है।
ईडी का भी शिंकजा
धनंजय सिंह पर आरोप है कि अपराध के बूते करोड़ों रुपये की सम्पत्ति अर्जित की है। इन सम्पत्तियों में लखनऊ में विभिन्न स्थानों पर छह फ्लैट, दो फार्म हाउस, गोमतीनगर में लैब, फर्जी दस्तावेजों से बनायी गई कई कम्पनियां, दिल्ली, जौनपुर, वाराणसी, मऊ, फतेहगढ़, बाराबंकी में कई फ्लैट व मकान, पेट्रोल पम्प है। इसके अलावा धनंजय के नाम से विभिन्न स्थानों में स्टैंड, झारखण्ड में फार्म हाउस, व ईट-भठ्ठे चलते हैं। इस संबंध में ईडी और आयकर को पत्र लिखा गया है। इसके बाद ईडी सक्रिय हो गई। डिटेल जुटाना शुरू कर दी है।