नर्सों के चार हजार पद खाली, मरीजों की देखभाल प्रभावित, अस्पतालों में सृजित पदों के अनुपात में नर्सों की संख्या है आधी
प्रदेश के अस्पतालों में स्टाफ नर्स के चार हजार पद खाली हैं। इनमें से 2987 पद वर्ष 2016 से रिक्त हैं। इन पदों पर भर्ती के लिए प्रस्ताव बनाकर दिसंबर 2019 में उप्र लोक सेवा आयोग को भेजा गया था। पर, अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है। इसके अलावा 696 पद वर्ष 2020 और फिर हाल ही प्रोन्नति होने से 429 स्टाफ नर्स के पद रिक्त हो गए हैं। प्रदेश में चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग में नर्सों के 7866 पर स्वीकृत हैं। 100 बेड के अस्पताल पर 30 स्टाफ नर्स की तैनाती का मानक हैं। जबकि एक सामुदायिक केंद्र पर तीन नर्सों के पद का मानक है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर एक भी नर्स का पद सृजित नहीं है। इस तरह प्रदेश में बेड के अनुपात में कहीं भी नर्सों की तैनाती नहीं है। इसके चलते मरीजों की देखरेख प्रभावित हो रही है। स्थिति यह है कि अस्पतालों में सृजित पदों के अनुपात में आधी ही नर्सें ही उपलब्ध हैं। इसके चलते ड्यूटी पर तैनात नर्सों पर दोगुना से अधिक काम करना पड़ रहा है।
स्वास्थ्य महानिदेशालय ने 06 नवंबर 2019 को स्टाफ नर्सों के 696 रिक्त पदों पर भर्ती के लिए आयोग को पत्र लिखा था। इसके बाद दिसंबर 2019 को 2987 पदों पर भर्ती के लिए आयोग को पत्र लिखा गया। जब कोई कार्यवाही नहीं हुई तो 04 दिसंबर 2020 को एक बार फिर से निदेशक स्वास्थ्य को रिक्त पदों पर भर्ती के लिए प्रस्ताव भेजने की जानकारी मांगी गई। फिर भी अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। इसी बीच 429 स्टाफ नर्स की असिस्टेंट और डिप्टी नर्सिंग ऑफिसर के पद पर प्रोन्नति हो गई। इससे स्टाफ नर्स के खाली पदों की संख्या और बढ़ गई है। इस संबंध में महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य डॉ. डीएस नेगी का कहना है कि स्टाफ नर्स के खाली पदों को भरने के लिए यूपीपीएससी को फिर से पत्र भेजा जाएगा।