खुद को देंगे आदर, तो दुनिया जरूर करेगी सलाम,आगे बढ़ने की दिशा में पहला कदम है आत्मविश्वास
कुछ लोग दूसरों की बातों से प्रभावित होते हैं। लोगों ने उन्हें अच्छा कहा तो उन्हें लगता है कि वे सचमुच ऐसे हैं। वहीं यदि कुछ गलत कहा तो दिल पर ले लेते हैं। यह नजरिये की समस्या है। आपका नजरिया बचपन से होता है। छोटा बच्चा यदि बार-बार हर छोटी बात के लिए अभिभावक की अनुमति लेता है तो शायद उसकी यह आदत आगे भी बनी रह सकती है। लोगों की अनुमति या राय ऐसे लोगों के लिए अहम होती है। ऐसे लोग एक खास तरह का चश्मा धारण कर लेते हैं कि लोग उन्हें बुरा कह रहे हैं, उन्हें देखकर यह सोच रहे हैं, उन्हें यह कहेंगे आदि। ऐसा नहीं है कि उनका चश्मा नकारात्मक ही होता है। कुछ लेाग इसके उलट होते हैं। उन्हें लगता है कि लोग मेरी तारीफ ही कर रहे हैं, मुझे पसंद करते हैं आदि।
सोच वैकल्पिक होनी चाहिए
यदि आप लोगों की तरफ देखकर यह सोचते हैं कि वे हमेशा आपके बारे में नकारात्मक या सकारात्मक ही बोलेंगे तो यह जरूरी नहीं। ऐसा वे लोग अधिक सोचते हैं, जिनमें आत्मविश्वास की कमी होती है। स्वावलंबी होने के बजाय परावलंबी होते हैं। अब सवाल है कि क्या करना चाहिए? आपको बस एक वैकल्पिक सोच लेकर चलना है। वैकल्पिक सोच यानी आप यह भी सोचें कि यदि लोग आपको बुरा भी कहेंगे या उनकी बात आपको बुरी लग रही है तो वह उनका अपना नजरिया हो सकता है। इसमें आपकी कोई गलती नहीं। यह सामने वाले की समस्या है। यदि कोई मुस्कुराये नहीं तो आपको यह नहीं सोचना चाहिए कि अमुक व्यक्ति हमें पसंद नहीं करता या तवज्जो नहीं देता। इस बारे में आपकी वैकल्पिक सोच होनी चाहिए। जैसे संभव है कि वह व्यक्ति तनाव में हो या उसका मुस्कुराने का मन न हो। यह भी तो संभव है कि उसने देखा हो आपको, पर ध्यान न दिया हो।