बेहद कम खर्चीला है ई-वाहनों का सफर ,पेट्रोल वाहनों की तुलना में 75 फीसदी कर सकते है बचत

सार्वजनिक परिवहन को इलेक्ट्रिक वाहनों की पटरी पर दौड़ाने की तैयारी शुरू हो चुकी है। शुरुआती खर्च बेशक थोड़ा अधिक है, लेकिन पेट्रोल वाहनों की तुलना में 75 फीसदी और डीजल की तुलना में 66 फीसदी बचत कर सकते हैं। लास्ट माइल कनेक्टिविटी के लिए ई-रिक्शा, वित्तीय सहायता से ई-वाहनों पर 20 से 33 फीसदी की बचत और प्रदूषण मुक्त (जीरो पॉल्यूशन) होने की वजह से माना जा रहा है कि अगला दौर ई-वाहनों का होगा। ई-वाहन खरीदने से पहले लोगों के मन में पहला सवाल उठता है कि कीमत में अंतर को कम कैसे किया जाए। ई-वाहनों पर खर्च केवल चार्जिंग का है। इसमें न तो वायु और न ही ध्वनि प्रदूषण होता है। ऐसे में डीजल, पेट्रोल और सीएनजी वाहनों की तुलना में इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल से अधिक कीमत की वसूली तीन से चार वर्ष में की जा सकती है।

दिखेगी बदलती तस्वीर
दिल्ली सरकार ने शून्य उत्सर्जन वाले वाहनों को प्रोत्साहित करने के लिए अगले छह महीने में सरकारी दफ्तरों के वाहनों को ई-वाहनों में बदलने का निर्णय लिया है, ताकि प्रदूषण को रोका जा सके। सरकार की नई ईवी पॉलिसी को समयबद्ध तरीके से लागू किया जाए तो अगले कुछ वर्षों में दिल्ली की बदलती तस्वीर दिखने लगेगी।

 

बीएस-6 वाहनों से भी कम है प्रदूषण
सेंटर फॉर साइंस की पर्यावरण मामलों (प्रमुख, क्लीन एयर प्रोग्राम) की विशेषज्ञ अनुमिता राय चौधरी का कहना है कि 2024 तक नए वाहनों का 25 फीसदी इलेक्ट्रिक वाहनों का लक्ष्य है। ई-वाहनों की सबसे खास बात यह है कि इससे बीएस-6 वाहनों से भी कम प्रदूषण होगा। फिलहाल, कीमत अधिक होने की वजह से बिक्री थोड़ी कम है, लेकिन बिक्री बढ़ेगी तो कीमत में भी राहत मिलेगी। सरकार की ओर से सब्सिडी, रोड टैक्स और रजिस्ट्रेशन फीस में छूट से भी काफी राहत मिल रही है। पेट्रोल, डीजल और सीएनजी की तुलना में ई-वाहनों में मोटर पार्ट्स के तौर पर बैटरी का इस्तेमाल होता है। आंतरिक दहन प्रक्रिया न होने की वजह से प्रदूषण नहीं होता है, जबकि मेंटीनेंस भी अन्य वाहनों की तुलना में काफी कम है।

सार्वजनिक परिवहन को मिलेगी नई रफ्तार
विशेषज्ञों के मुताबिक, यदि सार्वजनिक वाहनों को ई-वाहनों तब्दील कर दिया जाए तो उसमें प्रदूषण भी कम होगा और सुविधाएं भी ज्यादा होंगी। इसलिए अधिक से अधिक लोग इनमें सफर कर सकेंगे। इससे धीरे-धीरे सड़कों पर निजी वाहन कम हो जाएंगे। ई-वाहनों पर खर्च और मेंटीनेंस कम होने की वजह से यात्रियों को भी सफर में भी कई तरह की सहूलियतें मिल सकेंगी।

ई-कॉमर्स कंपनियों को भी किया जा सकता है शामिल
ई-कॉमर्स कंपनियां, खासकर होम डिलीवरी या कॉरपोरेट हाउस में अगर इलेक्ट्रिक वाहनों को चरणों में शामिल किया जाए तो इससे दोहरा फायदा मिलेगा। एक तो डिलीवरी सर्विस बेहतर होगी और दूसरा वाहनों का प्रदूषण कम होगा। इसलिए ई-कॉमर्स कंपनियों को भी इसमें शामिल किया जा सकता है।

खराब बैटरी से भी कर सकते हैं बचत
यदि वाहन की बैटरी खराब होती है तो इसे बदलने पर भी इंसेंटिव मिलेगा। लिथियम-आयरन से बनी बैटरियों से मेटल का दूसरे तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि, बैटरी के डिस्पोजेबल के लिए उचित इंतजाम करना होगा, ताकि बाद में पर्यावरण को किसी तरह का नुकसान न हो।

स्क्रैपिंग इंसेंटिव से राहत
नए ई-वाहनों की खरीद के लिए पुराने वाहनों पर स्क्रैपिंग इंसेंटिव भी मिलता है। इसका आकलन डीलर की ओर से किया जाता है। यह सब्सिडी व सरकार की योजना के अलावा है। इससे वाहनों की खरीद कीमत में 20 फीसदी तक का लाभ मिल सकता है।

ई-वाहन में से 55 फीसदी ई-रिक्शा
टू-व्हीलर                           833
ई-रिक्शा                           4334
ई-कार्ट                             1746
ई-हल्के वाणिज्यिक वाहन    41
ई-कार                             465
कुल रजिस्टर्ड वाहन            7419

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