Fastag यमुना एक्सप्रेस-वे पर है ‘बेकार’, जानें क्या है वजह

अगर आप यमुना एक्सप्रेस-वे के रास्ते दिल्ली से मथुरा-आगरा जाने की सोच रहे हैं, तो अपने पर्स में कुछ नगदी जरूर रख लीजिए। यहां पर बने टोल प्लाजा में फास्टैग की सुविधा न होने की वजह से आपको नगद में भुगतान करना पड़ेगा। 165 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेस वे पर अभी तक फास्टैग सिस्टम चालू नहीं हुआ है। आलम यह है कि कई वाहन चालक यह सोच कर फास्टैग रिचार्ज करवा लेते हैं कि वे फटाफट पेमेंट करके निकल जाएंगे लेकिन यहां उन्हें उल्टा कैश पेमेंट देने के लिए लंबी-लंबी लाइनों में लगना पड़ता है और टोल पार करने में पौना घंटा तक लग जाता है। फास्टैग के चलते लोग अपने पास कैश भी सीमित रखते हैं।

★ 40 हजार वाहन रोज गुजरते हैं:
देशभर में 15 फरवरी की आधी रात से देश के सभी टोल प्लाजा पर फास्टैग प्रणाली शुरू हो चुकी है। टोल कलेक्शन भी बढ़ कर 104 करोड़ रुपये प्रतिदिन तक पहुंच गया है, लेकिन इस 165 किमी लंबे यमुना एक्सप्रेस वे पर अभी तक फास्टैग लागू नहीं हो पाया है। यमुना एक्सप्रेस वे से रोजाना 40 हजार वाहन गुजरते हैं। जिनमें हल्के और भारी दोनों तरह के वाहन शामिल हैं। लेकिन फास्टैग सिस्टम लागू न होने से यहां अभी वाहनों को लंबी-लंबी कतारों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि यहां अभी भी टोल कैश में लिया जा रहा है।

★ दावे हुए फेल:
15 फरवरी को जब फास्टैग सिस्टम का एलान हुआ था, तो सरकार ने दावा किया था कि देशभर के सभी टोल प्लाजा पर फास्टैग से पेमेंट लिया जाएगा। वहीं जिन वाहनों पर फास्टैग नहीं होगा, उनसे दोगुना टोल वसूला जाएगा। वाहन चालकों को एक सख्त डेडलाइन देकर सरकार ने सभी वाहनों पर तो फास्टैग लगवा दिए, लेकिन इस महत्वपूर्ण एक्सप्रेस-वे पर अभी तक कॉन्टैक्टलेस भुगतान का नियम लागू नहीं हो पाया है। यह एक्सप्रेस-वे ग्रेटर नोएडा को अलीगढ़ और मथुरा के जरिए आगरा से कनेक्ट करता है।

★ एक फरवरी से फास्टैग लगाने के हुआ था एलान
इसे पहले जनवरी में यमुना एक्सप्रेस-वे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी की चेतावनी के बाद एक फरवरी से यमुना एक्सप्रेस-वे पर फास्टैग लागू करने का एलान किया गया था। तब टोल प्लाजा ऑपरेट करने वाली जेपी कंपनी ने कहा था कि टेंडर जनवरी में ही जारी हो चुके हैं और एक फऱवरी से फास्टैग सिस्टम लागू हो जाएगा। अमर उजाला से बातचीत में सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह ने जेपी कंपनी के हवाले से बताया था कि एक फरवरी से एक्सप्रेस-वे के सभी टोल पर फास्टैग शुरू हो जाएगा और शुरुआत में कैश लेन भी रहेगी। दोनों तरह की लेन के लिए टोल से पहले कुछ दूरी पर लेन तय कर दी जाएगी। लेकिन उनका ये दावा फेल साबित हुआ।

★ यमुना एक्सप्रेस-वे नेशनल हाइवे अथॉरिटी के तहत नहीं

वहीं यमुना एक्सप्रेस-वे पर काम कर रहे एक सूत्र का कहना है कि यमुना एक्सप्रेस-वे नेशनल हाइवे अथॉरिटी के तहत नहीं आता है, इसलिए यहां पर फास्टैग जैसे इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम लगाने की कोई जरूरत नहीं है। हालांकि उन्होंने यह भी दावा किया कि स्टेकहोल्डर्स के साथ विचार-विमर्श होने के बाद एक प्रपोजल तैयार किया गया है। अगर यहां फास्टैग सिस्टम लगाना संभव हुआ तो इस पर आगे बढ़ा जाएगा। वहीं प्रस्ताव सरकार के स्तर पर मंजूर होना है, जिसमें वक्त लग सकता है।

‘हाइवे साथी’ से टोल पेमेंट

वहीं फास्टैग सुविधा चालू न होने से यमुना एक्सप्रेस अथॉरिटी ने दूसरा रास्ता निकाला है। अथॉरिटी ने एक हाइवे साथी एप लॉन्च किया है, जिसमें मोहाइल वॉलेट की सुविधा दी गई है। वहीं एकीकृत वॉलेट या फास्टैग सिस्टम न होने से यात्री परेशान हो रहे हैं। क्योंकि वॉलेट लोगों को अलग से रिचार्ज कराना पड़ता है, वहीं कई ग्राहकों को इसके बारे में जानकारी ही नहीं होती है, जिससे वे टोल बूथ पर या कैश में भुगतान करते हैं या फिर इस एप को डाउनलोड करके उसे रिचार्ज करते हैं। जिसके चलते वहां जाम की स्थिति पैदा हो जाती है।

ओटीपी के लिए इंतजार

वहीं कई बार एप को डाउनलोड करने के बाद रजिस्ट्रेशन के ओटीपी के लिए काफी देर तक इंतजार करना पड़ता है। लोगों को कहना है कि उनके फोन में पहले से कई वॉलेट हैं, तो वे भीम यूपीआई या पेटीएम से क्यों नहीं टोल भगुतान करवाते। जब इस एप को लॉन्च किया गया था, तो प्राधिकरण ने दावा किया था कि दोनों तरफ जीरो-पाइंट पर फोन में इस एप की चेकिंग की जाएगी, और डाउनलोड होने के बाद ही आगे जाने दिया जाएगा। लेकिन इन दावों की सच्चाई टोल बूथ पर लग रही लंबी-लंबी लाइनें देख कर समझ आ रही है।

 

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