शारदा विश्वविद्यालय में कम्प्यूटिंग, संचार और इंटेलिजेंट सिस्टम पर इंटरनैशनल सेमिनार का आयोजन
शारदा विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी की ओर से शुक्रवार से दो दिवसीय कम्प्यूटिंग, संचार और इंटेलिजेंट सिस्टम पर इंटरनैशनल सेमिनार की शुरूआत की गई। इसमें मुख्य अतिथि के रूप में नैशनल असेसमेंट एंड एक्रीडेशन कौंसिल नैक के एग्जीक्युटिव चेयरमैन डाॅ वीरेंद्र सिंह चैहान शामिल रहे। इस मौके पर उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के दौरान हमलोगों ने देखा कि कैसे कम्प्यूटिंग, संचार और इंटेलिजेंट सिस्टम ने फायदा पहुंचाया। उन्होंने कहा कि वर्तमान और आने वाले समय में कम्प्यूटिंग का उपयोग कर हम हर क्षेत्र में इंटेलिजेंट सिस्टम को अपनाकर बेहतर परिणाम दे सकते हैं।
शुक्रवार से दो दिवसीय सेमिनार की शुरूआत हुई। इसमें यूएसए, यूके, सिंगापुर के अलावा के अलावा कई नामचीन विवि के प्रतिनिधियों और विद्वानों ने भाग लिया। कार्यक्रम के पहले दिन शारदा विवि के चांसलर पी के गुप्ता ने कहा कि यह सम्मेलन एक अंतरराष्ट्रीय मंच है। इसका उद्देश्य अग्रणी शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और अनुसंधान विद्वानों को एक साथ लाने के लिए उनके अनुभवों और उच्च .अर्जित तकनीकी प्रगति को कम्प्यूटिंग, संचार और बुद्धिमान प्रणालियों से संबंधित उनके अनुसंधान के आधार पर साझा करना है। उन्होंने कहा कि हमारे कैंपस में इंजीनियरिंग और मेडिकल क्षेत्र में पढाई कराई जाती है। हम अपने विद्वान प्रफेसरों से आशा करते हैं कि वह ऐसी तकनीक को इजाद करें जो मेडिकल और हेल्थकेयर में मील का पत्थर साबित हो। कोई तरह का सेंसर या यंत्र विकसित किया जाए जो शुगर या किडनी के मरीजों के शुरूआती लक्षण के बारे में ही बता दे, ताकि कोई भी गंभीर रूप से बीमार पडने से पहले ही चिकित्सीय उपचार कराना शुरू कर दे। ऐसा होने से मोर्टिलिटी रेट काफी कम हो सकते हैं। प्रो चांसलर वाई के गुप्ता ने कहा कि आधुनिक संचार प्रणाली के फायदे से हमलोग रोज रूबरू होते हैं; हाइवे पर चलते समय जैसे ही हम ओवर स्पीड करते हैं वहां लगे सेंसरयुक्त कैमरे गाडी की स्पीड को माप लेता है और बजर बजा देता है। ऐसे में नई संचार तकनीकी पर और ज्यादा काम करने की जरूरत है। इसके बाद कुलपति प्रो सिबाराम खारा ने संचार की बदलती तकनीकी और अपने अनुभवों से स्काॅलरों को रूबरू कराया। उन्होंने 2जी से लेकर 5जी के सफर और चुनौतियों पर प्रकाश डाला। स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के डीन डॉ परमानंद ने कहा कि हमें अपने ज्ञान में तकनीक के माध्यम से निरंतर वृद्धि करनी चाहिए क्योकि इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी एक ऐसे विभाग है जिसमे निरंतर खोज होनी आवश्यक है। इसके अलावा केंद्रीय रोड और हाइवे मंत्रालय के सलाहकार अखतरूल हनीफ ने कैलकुलेटर से कम्प्यूटर प्रणाली की गणना तक के बारे में बताया। उन्होंने मानव रहित वाहनों और मेटो में उपयोग होने वाली इंटेलिजेंट सिस्टम पर प्रकाश डाला। सीएसआईआर की वैज्ञानिक मिताली मुखर्जी ने भी बताया कि कैसे गणना की विधि ने कोविड महामारी से उबरने में मदद की।