नही रहे राजीव के दोस्त कैप्टन सतीश शर्मा, राहुल गाँधी ने दिया कंधा, जानें कौन थे सतीश

कांग्रेस के पूर्व सांसद कैप्टन सतीश शर्मा के शव को शुक्रवार सुबह राहुल गांधी ने कंधा दिया। कैप्टन सतीश शर्मा का आज अंतिम संस्कार किया जाना है। बुधवार को गोवा में कैप्टन सतीश शर्मा का निधन हो गया था। कैप्टन सतीश शर्मा गांधी परिवार के करीबी माने जाते थे। सतीश शर्मा की राजनीति में एंट्री भी पूर्व पीएम राजीव गांधी के चलते हुई थी। इससे पहले वह एक एयरलाइन कंपनी में पायलट के तौर पर काम करते थे। शर्मा को पहली बार 1986 में राज्यसभा जाने का मौका मिला था। यही नहीं राजीव गांधी की मौत के बाद अमेठी लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में उन्हें जीत मिली थी।

कैप्टन सतीश शर्मा 1993 से 1996 के दौरान पीएम नरसिम्हा राव सरकार में पेट्रोलियम मंत्री भी थे। इस दौरान पेट्रोल पंपों के आवंटन को लेकर विवाद छिड़ गया था और उनकी भूमिका को लेकर भी कई बातें कही गई थीं। यही नहीं शर्मा की ओर से किए गए पेट्रोल पंपों के आवंटन को 1997 में सुप्रीम कोर्ट ने रद्द भी कर दिया था और 50 लाख रुपये की पेनल्टी लगाई थी। हालांकि कोर्ट ने इस पेनल्टी को बाद में समाप्त कर दिया था, लेकिन इस विवाद की छाया से कैप्टन सतीश शर्मा कभी बाहर नहीं निकल सके। इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की थी, ‘ऐसा लगता है कि जैसे कैप्टन सतीश शर्मा किंग थे और पेट्रोल पंप उनके लिए पर्सनल प्रॉपर्टी थे।’

अमेठी से सांसद चुने जाने के बाद एक बार फिर से कैप्टन सतीश शर्मा 1999 में लोकसभा पहुंचे। हालांकि इस बार उन्हें अमेठी की बजाय रायबरेली सीट से संसद जाने का मौका मिला था। इसकी वजह यह थी कि रायबरेली सीट खाली करके सोनियां गांधी ने अमेठी से चुनाव लड़ने का फैसला लिया था। इसके बाद 2004 में कैप्टन सतीश शर्मा ने सोनिया गांधी के लिए जगह खाली की थी।

Delhi: Congress leader Rahul Gandhi gives shoulder to the mortal remains of party leader Captain Satish Sharma who passed away on February 17 pic.twitter.com/BhM4zMjGAz

— ANI (@ANI) February 19, 2021

इसकी वजह यह थी कि सोनिया गांधी ने बेटे राहुल को अमेठी से चुनाव लड़ाने का फैसला लिया था और खुद परिवार की परंपरागत सीट रायबरेली वापस लौट आई थीं। इसके कुछ दिनों बाद ही कैप्टन सतीश शर्मा को दूसरी बार राज्यसभा भेज दिया गया था। यही नहीं 2010 से 2016 के दौरान एक बार फिर से वह राज्यसभा पहुंचे थे। कुल मिलाकर वह अपनी जिंदगी में 6 बार सांसद रहे। तीन बार लोकसभा से और तीन ही बार राज्यसभा में चुने गए।

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