पेट्रोल की लगातार बढ़ती कीमतों ने लोगों को किया हलकान, सरकारी तेल कंपनियों ने आज लगातार 10वें दिन भी पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि की

पेट्रोल की लगातार बढ़ती कीमतों ने लोगों को हलकान किया हुआ है। आलम यह है कि सरकारी तेल कंपनियों ने आज लगातार 10वें दिन भी पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि की है। प्रतिदिन बढ़ रही तेल की कीमतें नए-नए रिकॉर्ड तोड़ रही है। देश में पेट्रोल और डीजल का इस्तेमाल जितना ज्यादा होता है, उसकी कीमत भी उतनी ही ज्यादा है। अगर कभी यह सस्ता होता भी है, तो भी हमारी जेब पर इसका ज्यादा असर नहीं पड़ता। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में कमी के बावजूद हमारे देश में पेट्रोल-डीजल की कीमत कम नहीं होती। देश में ग्राहक पेट्रोल व डीजल के बेस प्राइस यानी एक्स फैक्टरी का लगभग तीन गुना ज्यादा दे रहे हैं। बेतहाशा बढ़ती पेट्रोल की कीमतों से आम आदमी परेशान है। साल 2021 में पेट्रोल अब तक 6.07 रुपये महंगा हो चुका है। पिछले 10 महीने में ही इसके दाम में करीब 17 रुपये की बढ़ोतरी हो चुकी है।

★ एक ही राज्य में इसलिए होता है पेट्रोल की कीमत में अंतर :
प्रीमियम पेट्रोल, जिस पर अधिक कर लगाया जाता है, की कीमत महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में 100 रुपये प्रति लीटर के आंकड़े को पार कर चुकी है। मध्यप्रदेश के अनूपपुर में पेट्रोल की कीमत 100.25 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 90.35 रुपये है। भोपाल में भी प्रीमियम पेट्रोल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर के पार पहुंच गई। वैट जैसे स्थानीय करों और माल भाड़े के आधार पर ईंधन की कीमतें राज्यों में अलग-अलग होती हैं। देश में राजस्थान पेट्रोल पर सबसे अधिक मूल्य वर्धित कर (वैट) वसूलता है, जबकि इसके बाद मध्यप्रदेश का स्थान है। मध्यप्रदेश में 33 फीसदी के साथ ही 4.5 रुपये लीटर का कर और पेट्रोल पर एक फीसदी उपकर लगाया जाता है। डीजल पर कर 23 फीसदी और तीन रुपये प्रति लीटर तथा एक फीसदी उपकर है। दरअसल, एक ही राज्य के अलग-अलग पेट्रोल पंप में परिवहन लागत भी अलग-अलग होती है, जिसके चलते निवासियों के लिए ईंधन की कीमत भी बढ़ जाती है और उन्हें अतिरिक्त राशि चुकानी पड़ती है।

★ कच्चे तेल का बड़ा आयातक है भारत :
भारत कच्चे तेल का बड़ा आयातक है। खपत का 85 फीसदी हिस्सा भारत आयात के जरिए पूरा करता है। इसलिए जब भी क्रूड सस्ता होता है, तो भारत को इसका फायदा होता है। तेल सस्ता होने की स्थिति में आयात में कमी नहीं पड़ती लेकिन भारत का बैलेंस ऑफ ट्रेड कम होता है। इससे रुपये को फायदा होता है क्योंकि डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में मजबूती आती है, जिससे महंगाई भी काबू में आ जाती है। सस्ते कच्चे तेल से घरेलू बाजार में भी इसकी कीमतें कम रहेंगी।

कच्चे तेल से कितनी प्रभावित होती है पेट्रोल की कीमत?
भारत की निर्भरता ब्रेंट क्रूड की सप्लाई पर है, ना कि डब्ल्यूटीआई पर। इसलिए अगर ब्रेंट क्रूड की कीमत में एक डॉलर की कमी आती है, तो देश में पेच्रोल सस्ता होता है। कच्चे तेल की कीमत में एक डॉलर की कमी का सीधा-सीधा मतलब है पेट्रोल जैसे प्रॉडक्ट्स के दाम में 50 पैसे की कमी। वहीं अगर क्रूड के दाम एक डॉलर बढ़ते हैं तो पेट्रोल-डीजल के भाव में 50 पैसे की तेजी आना तय माना जाता है।

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