ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में ई-फाइलिंग के फेर में आवंटी, अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक उलझे।
रिन्यूएबल एनर्जी के इस युग में ग्रेनो प्राधिकरण द्वारा ई-फाइलिंग के घोड़े पर सवार कर अपनी कार्यशैली को गति देने की योजना तमाम प्रयासों के बावजूद परवान नहीं चढ़ पा रही है। दो साल से ज्यादा समय और भारी-भरकम रकम खर्चने के बावजूद अभी भी यह योजना कमोबेश पहले पायदान पर ही खड़ी है जबकि अब इसे लेकर प्राधिकरण और सेवा प्रदाता कंपनी के बीच मनमुटाव होने लगा है।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ईआरपी(इंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग) सिस्टम लागू कर अपने आवंटियों को पेपरलेस सेवा देने वाला पहला प्राधिकरण बन सकता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को पहले पहल ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में लागू करने का लक्ष्य रखा गया है। हालांकि दो साल से अधिक समय बीतने के पश्चात इस तंत्र को विकसित व संचालित करने वाली कंपनी टेक महिंद्रा किसी मुकाम पर नहीं पहुंच सकी है। प्राधिकरण में अभी भी असंख्य पत्रावली को स्कैन कर तंत्र पर चढ़ाना शेष है जबकि इस कार्य को करने के लिए टेक महिंद्रा को नौ महीने का समय दिया गया था। इस व्यवस्था के अंतर्गत प्राधिकरण में आवंटियों के आवेदन तथा अन्य कार्यों के लिए पत्रावलियों का संचालन ऑनलाइन ही होगा। लिपिक से लेकर शीर्ष अधिकारी तक पत्रावली पर ऑनलाइन ही प्रस्ताव, आदेश और हस्ताक्षर करेंगे। इससे समय की बचत के साथ कार्य में पारदर्शिता होगी और आवंटियों के साथ किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सकता है। प्राधिकरण इस महत्वपूर्ण योजना पर साठ करोड़ रुपए खर्च कर रहा है। परंतु इस हेतु सुनियोजित तरीका न अपनाए जाने से योजना परवान नहीं चढ़ पा रही है। प्राधिकरण कर्मी अनधिकृत रूप से बताते हैं कि विभागवार पत्रावलियों को ऑनलाइन न करने के तरीके से यह योजना जी का जंजाल बन रही है। सभी विभागों के लोग प्रतिदिन अपनी पत्रावलियों को लेकर कंपनी के कर्मचारियों से जूझते रहते हैं।दो वर्ष बीतने पर भी सिस्टम सुचारू रूप से चालू न होने पर कंपनी के प्रति प्राधिकरण के शीर्ष अधिकारियों की त्यौरियां चढ़ने लगी हैं।सूत्रों के अनुसार शीघ्र ही कंपनी को लेकर प्राधिकरण कोई कठोर फैसला ले सकता है।