एक और फाँसी : आज़ाद भारत मे होगी पहली महिला को फाँसी, क्या है यूपी की शबनम की कहानी
आजाद भारत में पहली बार होगी किसी महिला को फांसी, प्रेमी संग मिलकर पूरे परिवार का किया था क़त्ल
उत्तर प्रदेश के मेरठ जनपद से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां आजाद भारत में अब तक के इतिहास में जो नहीं हुआ अदालत ने वो निर्णय दिया है। जिसके बाद न्याय क्षेत्र में एक नया अध्याय लिखते हुए आजाद भारत में पहली बार किसी महिला को फांसी दी जाएगी। इससे पहले बंदी शबनम ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजी थी। लेकिन इसकी दया याचिका खारिज कर दी गई थी। जिसके बाद अब इसे फंदे से लटकाया जाएगा।
गौरतलब है कि, प्रदेश के अमरोहा जनपद निवासी शबनम ने अपने प्रेमी सलीम से विवाह करना चाहती थी, लेकिन उसका परिवार इसकी इजाजत नहीं दे रहा था। जिसके चलते वर्ष 2008 में शबनम ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर परिवार के सात लोगों को पहले तो जहर दिया, उसके बाद उनकी हत्या कर दी। इस दिल दहला देने वाली घटना से पूरा यूपी दहल उठा था। उस समय सत्ता की कमान संभाल रही मायावती ने भी घटनासथल पर पहुंचकर जायजा लिया था।
पुलिस ने मामले की जांच शुरू की तो शबनम और उसके प्रेमी को गिरफ्तार किया गया। पूछताछ के बाद मामला साफ़ हो गया। हालांकि पुलिस कोर्ट में जहर देने की बात नहीं सिद्ध कर सकी, जिसके बाद ये लग रहा था कि शायद शबनम रिहा हो सकती है। लेकिन बाद में हत्या किया जाना साबित होने के बाद कोर्ट ने दोनों पति-पत्नी को मौत की सजा सुना दी।
इसके साथ ही जेल में बंद रहने के दौरान शबनम ने एक बच्चे को भी जन्म दिया। उसके बाद बच्चे की देखरेख को लेकर भी कोई पारिवारिक सदस्य न होने के कारण फांसी में देरी हुई। जिसके बाद शबनम की तरफ से राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजी गई, लेकिन कोई राहत नहीं मिली। याचिका खारिज कर दी गई। यानी अब शबनम और उसके प्रेमी को फांसी देना तय हो गया है। अभी इसके बच्चे की देखगरेख एक स्थानीय पत्रकार के द्वारा किया जा रहा है।
शबनम को मथुरा स्थित जेल में फांसी दी जाएगी। इसके लिए पवन जल्लाद ने मथुरा जाकर फांसी स्थल का जायजा लिया है। बता दें फांसी का स्थान तो प्रदेश में बहुत जगहों पर है लेकिन महिला फांसी का स्थान केवल मथुरा में है, जिसे ब्रिटिशकाल में अंग्रजो द्वारा बनाया गया था। पवन जल्लाद दो बार फांसी स्थल का जायजा ले चुका है, जिससे यह उम्मीद जताई जा रही है कि, इसे जल्द ही फांसी दी जाएगी।
कुदरत का करिश्मा कहें या करनी का फल, जिस शबनम ने प्रेमी के साथ जीने-मरने की कसमें खाकर पूरे परिवार को मौत के घाट उतार दिया था, उसी शबनम को अब अलग जेल में फांसी दी जाएगी और उसके पति को अलग जेल में। क्योंकि महिला फांसी का स्थान सिर्फ मथुरा जेल में है और ये दोनों मेरठ जेल में सजा काट रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के अमरोहा (Amroha) जिले से हसनपुर क्षेत्र के गांव के बावनखेड़ी में रहने वाले शिक्षक शौकत अली की इकलौती बेटी शबनम (Shabnam) ने 14 अप्रैल, 2008 की रात को प्रेमी सलीम के साथ मिलकर जो खूनी खेल खेला था, उससे पूरा देश हिल गया था. शबनम और सलीम की बेमेल इश्क की खूनी दास्तां करीब 13 साल बाद फांसी के नजदीक पहुंचती दिख रही है. प्रेम में अंधी बेटी ने माता-पिता और 10 माह के मासूम भतीजे समेत परिवार के सात लोगों को कुल्हाड़ी से गला काट कर मौत की नींद सुला दिया था. सुप्रीम कोर्ट से पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद अब शबनम की फांसी की सजा को राष्ट्रपति ने भी बरकरार रखा है. ऐसे में अब उसका फांसी पर लटकना तय हो गया है. मथुरा जेल में महिला फांसीघर में शबनम की फांसी की तैयारी भी शुरू हो गई है.
गौरतलब है कि मथुरा जेल में 150 साल पहले महिला फांसीघर बनाया गया था. लेकिन आजादी के बाद से अब तक किसी भी महिला को फांसी की सजा नहीं दी गई. वरिष्ठ जेल अधीक्षक शैलेंद्र कुमार मैत्रेय ने बताया कि अभी फांसी की तारीख तय नहीं है, लेकिन हमने तयारी शुरू कर दी है. डेथ वारंट जारी होते ही शबनम को फांसी दे दी जाएगी.
अलग बिरादरी का होना बनी मुसीबत
शिक्षक शौकत अली के परिवार में पत्नी हाशमी, बेटा अनीस, राशिद, पुत्रवधु अंजुम, बेटी शबनम व दस महीने का मासूम पौत्र अर्श थे. शौकत अली ने इकलौती बेटी शबनम को बड़े लाड़-प्यार से पाला था. इतना ही नहीं बेहतर तालीम दिलवाई. एमए पास करने के बाद शबनम शिक्षामित्र हो गई. लेकिन इसी दौरान शबनम का प्रेम प्रसंग गांव के ही आठवीं पास युवक सलीम से शुरू हो गया. दोनों प्यार में ऐसे डूबे कि उन्हें न घर की परवाह थी और न ही समाज की. दोनों शादी करना चाहते थे, लेकिन शबनम सैफी तो सलीम पठान बिरादरी से था. लिहाजा शबनम के परिवार को यह बेमेल इश्क मंजूर नहीं था. लेकिन शबनम सलीम से दूर नहीं जाना चाहती थी.