ग्रेनो साहित्य मे आज की कविता है ” बाकी है”
ग्रेनो साहित्य मे आज की कविता है ” बाकी है”
इस कविता के रचनाकार है “शेषकान्त दुबे”
शेषकान्त काशी हिन्दू विश्विद्यालय मे पत्रकारिता के छात्र रह चुके है.

बाकी है
डूबे हुए इरादों में अभी जान आनी बाकी है
अभी-अभी तो गिरे है उड़ान अभी बाकी है
सफ़र करेगे; कभी हारे तो कभी जीतेगे
कुछ मुझे दोस्त कहेगे तो कुछ दुश्मन समझेगे !
अभी तो रिश्तो में कुछ और पहचान बाकी है
डूबे हुए इरादों में अभी जान आनी बाकी है
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