कोर्ट ने पुलिस के खिलाफ याचिका की ख़ारिज , बहुचर्चित जेवर काण्ड के आरोपियों के परिजनों ने लगाया था फर्जी फंसाने का आरोप
ग्रेटर नोएडा : एसएसपी गौतमबुध नगर के खिलाफ दायर की गई याचिका को जिला कोर्ट ने खारिज कर दिया। 24 जुलाई को जेवर कांड के आरोपियों के परिजनों ने पुलिस पर आरोपियों को फर्जी फंसाने का आरोप लगाकर मामले में दुबारा जांच करने की मांग की थी। कोर्ट ने आरोपियों के परिजनों की तरफ से दायर 156/3 की दोनों याचिका को खारिज करते हुए आरोपियों को न्यायिक हिरासत में रखने का फैसला दिया हैं।
सूरजपुर स्थित जिला कोर्ट में जेवर कांड के आरोपियों के परिजनों ने एसएसपी समेत जेवर कांड का खुलासा करने वाली पुलिस टीम के खिलाफ 156/3 के तहत मामला दर्ज किया था। कोर्ट में परिजनों ने दायर याचिका में पुलिस पार्टी पर आरोप लगाया कि पुलिस ने जेवर कांड में फंसे आरोपियों को फर्जी फंसाया गया हैं। जेवर मामले के दोषी लोगो के परिजनों ने 24 जुलाई को कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिला कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए जेवर कांड का खुलासा करने वाली पुलिस टीम पर लगाए हुए आरोपियों को फर्जी फंसाने में लगाया हुआ आरोप गलत हैं। कोर्ट ने इस मामले में दोनों याचिका को खारिज कर दिया। गौरतलब हैं कि पुलिस ने जेवर गैंगरेप कांड का खुलासा कर बावरिया गैंग के चार बदमाशों को मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किया था। इनमें एक बदमाश को गोली लगी थी। इस मामले में सोमवार को दो आरोपियों राकेश और दीपक के परिजनों ने कोर्ट में एसएसपी, एसपी सिटी और जेल अधीक्षक समेत 17 पुलिसकर्मियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने की मांग की थी। कोर्ट ने सुनवाई के लिए 4 अगस्त की तारीख दी थी लेकिन तारिख आगे की मिलने के कारण 21 अगस्त में फैसला किया गया। जेवर मामले के मुख्य आरोपी अशोक उर्फ राजू की पत्नी कुसुम ने जेवर कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक राजपाल सिंह तोमर, उप प्रभारी निरीक्षक वीरपाल सिंह सोलंकी, उप प्रभारी निरीक्षक अशोक कुमार समेत जेवर कोतवाली के 15 पुलिसकर्मियों को आरोपी बनाते हुए कोर्ट में 156/3 के तहत याचिका दायर की थी। आरोपी राकेश की मां संतोष के वकील बलराज भाटी ने बताया कि कोर्ट ने सुनवाई के बाद प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया हैं।
एसएसपी लव कुमार ने बताया कि बहुचर्चित जेवर कांड का पुलिस की टीम ने सही खुलासा किया गया था और आरोपियों के पास से पीडित पक्ष का सारा सामान बरामद भी किया था। आरोपी पक्ष के परिजन कोर्ट में गलत तथ्यों को रखकर आरोपियों की रिहाई करवाने की कोशिश कर रहे थे।