असहयोग आन्दोलन को वापस लेने से आजादी में विलंब हुआ – प्रो.भगवती प्रकाश शर्मा
नोएडा | प्रेरणा मीडिया संस्थान द्वारा आयोजित तीन दिवसीय वेबिनार के समापन सत्र को संबोधित करते हुए गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय नोएडा के कुलपति प्रो.भगवती प्रकाश शर्मा ने कहा कि असहयोग आन्दोलन अगर वापस न लिया गया होता तो भारत 1923 में ही आजाद हो जाता। क्योंकि उस समय स्वाधीनता का मार्ग प्रशस्त हो चुका था।
उन्होंने कहा कि गांधी जी ने चौरीचौरा काण्ड का हवाला देकर असहयोग आन्दोलन को वापस लेने का फैसला किया था। जबकि मोपला विद्रोह की हिंसा गांधी जी को नहीं दिखी लेकिन चौरीचौरा काण्ड से असहयोग आन्दोलन को उन्होंने वापस ले लिया।
प्रोफेसर भगवती प्रकाश ने कहा कि स्वाधीनता के लिए नेताजी सुभाषचन्द्र बोस ने अथक प्रयास किया। आजाद हिन्द सेना मणिपुर और नागालैण्ड के जंगलों में अंग्रेजों को खदेड़ रही थी। उस समय नेहरू ने कहा था कि अगर सुभाष आते हैं तो हम उनका सामना करेंगे। आजाद हिन्द सेना के सैनिकों ने देश में जो माहौल बनाया था उसके कारण अंग्रेज डर गये थे।
प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा ने कहा कि दुनिया में कोई ऐसा देश नहीं होगा जो अपने इतने बड़े सेनानी को भुला देगा। नेता जी देश को अखण्ड भारत के रूप में आजाद कराने की ताकत रखते थे।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संयुक्त क्षेत्र प्रचार प्रमुख कृपाशंकर जी ने कहा कि हम सांस्कृतिक भारत की तरफ बढ़ रहे हैं। इस वेविबनार ने भूत वर्तमान और भविष्य की तरफ इशारा कर दिया है। भारत ने कोरोना संकट में यह सिद्ध कर दिया है कि जहां विश्व के कई देश धराशायी हो गये वहीं भारत एक शक्ति के रूप में उभर कर सामने आया है।
चैधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरेन्द्र कुमार तनेजा ने कहा कि जो इतिहास हमारे विद्यार्थियों को पढ़ाया जाता है वह विशिष्ट विचारधारा के आधार पर नई पीढ़ियों को दुष्प्रभावित करने का प्रयास है। कांग्रेस की प्रारम्भ से ही मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति रही है। यही कारण रहा कि विभाजन का दंश देश को झेलना पड़ा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता आईआईएमटी संस्थान समूह के प्रबंध निदेशक श्री मयंक अग्रवाल ने की। कार्यक्रम का संचालन किसान पीजी कॉलेज के अंग्रेजी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ नीलम कुमारी ने की।