“आपतकाल में सत्ता का दुरुपयोग” विषय पर लाइव गोष्ठी का आयोजन

नोएडा :  मंगलवार को प्रेरणा मीडिया द्वारा आपातकाल पर आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम की शृंखला के प्रथम दिन फेसबुक के माध्यम से  आपतकाल में सत्ता का दुरुपयोग विषय पर लाइव गोष्ठी का प्रसारण किया जिसे गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर भगवती प्रकाश शर्मा ने संबोधित किया।

अपने उद्बोधन में प्रोफेसर शर्मा ने विस्तृत विवरण के साथ बताया कि किस प्रकार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी को नाकों चने चबा दिए थे।

उन्होंने बताया कि देश भर में जब इंदिरा गांधी का दमन चक्र चला तो हर उस छोटे बड़े स्वर को दबा दिया गया जिसने भी इंदिरा के विरुद्ध

बोलने का साहस किया।

“आपातकाल के दौरान जेलों में बंद किए गए 6,386 लोकतंत्र सैलानियों का आखिरी जत्था 12 फरवरी 1977 को रिहा किया गया जिसमें 4026 रिहा किए गए व्यक्ति संघ से जुड़े थे।

इस बात से सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि आपातकाल के दौरान संघ कार्यकर्ताओं पर किस प्रकार कार्यवाही की गई थी,” प्रोफेसर शर्मा ने कहा।

श्रीमती गांधी और उनके पुत्र संजय गांधी के सिर पर सत्ता का नशा इस कदर हावी था कि कांग्रेस में बिना किसी पद और सरकार में बिना किसी दायित्व के संजय गांधी के इशारों पर सरकार चल रही थी।

हिंदी सिनेमा के प्रसिद्ध गायक किशोर कुमार के गानों को आकाशवाणी पर चलने से इसलिए प्रतिबंध लगा दिया गया क्योंकि उन्होंने सरकार के पक्ष में गाना गाने से मना कर दिया था।

प्रोफेसर शर्मा ने बताया कि इंदिरा गांधी का दमन चक्र इतना कठोर था जिसमें वयोवृद्ध नेता आचार्य कृपलानी तक को रात के अंधेरे में उनके घर से उठा लिया गया। इसी प्रकार 87 वर्षीय मनमोहन देसाई को एकांत कारावास में 2 वर्षों से अधिक समय तक रखा गया।

कांग्रेस सरकार की बर्बरता यहीं नहीं थमी। भोले-भाले ग्रामीणों से लेकर नागरिकों तक की नसबंदी कर दी गई जिसमें 15 वर्ष के किशोरों से लेकर 75 वर्ष तक के लोगों को भी नहीं छोड़ा गया।

उस समय न्यायपालिका को पूर्णतया पंगु बना दिया गया और संसद ही सर्वोपरि हो गई जो इंदिरा गांधी के हाथ के नीचे थी। 42 वें संशोधन में 59 क्लॉज ऐसे थे जो सीधे-सीधे न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र को कम करते थे। उस समय के राष्ट्रपति ने भी अपने पद की गरिमा के विपरीत इंदिरा गांधी द्वारा भेजे गए पत्र पर हस्ताक्षर कर आपातकाल की घोषणा कर दी जबकि संविधान के अनुसार इस प्रकार का कोई प्रस्ताव मंत्रिमंडल की तरफ से आना आवश्यक था।

भविष्य में फिर कभी लोकतंत्र का गला सत्ता में बने रहने के लिए न घोटा जा सके इसके लिए संविधान में संशोधन कर व्यवस्था की गई कि  आपातकाल केवल उसी सूरत में लगाया जा सकेगा जब देश में सशस्त्र विद्रोह की स्थिति बनती दिखे।

प्रेरणा मीडिया के फेसबुक पेज facebook.com/prernashodhnoida62 पर यह कार्यक्रम 24 और 25 जून को भी जारी रहेगा. बुधवार को सायं 4:00 बजे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह संपर्क प्रमुख श्री रामलाल एवं बृहस्पतिवार को सायं 5:30 बजे पांचजन्य के संपादक हितेश शंकर गोष्टी को संबोधित करेंगे।

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