खण्डग्रास सूर्य ग्रहण कल , जानिए भारत में पड़ने वाले प्रभाव

खण्डग्रास सूर्य ग्रहण :-
आषाढ़ कृष्ण पक्ष अमावस्या रविवार (21 जून 2020) को (चूड़ामणि योग) खण्डग्रास सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई देगा एवं यह मध्य अफ्रीका,

पंडित नितेश भारद्वाज

दक्षिणी प्रशांत महासागर, हिंद महासागर, चीन ताइवान, अरब क्षेत्रों में, ओमान, पाकिस्तान आदि क्षेत्रों में भी देखने को मिलेगा।
खण्डग्रास सूर्य ग्रहण मृगशिरा नक्षत्र में प्रारंभ होगा एवं मोक्ष (समाप्ति) आर्द्रा नक्षत्र में होगी।
सार्वभौमिक परिदृश्य में इसका समय (भा. मा. स.) – ग्रहण का स्पर्श 10:09 मिनट
ग्रहण का मध्य 11: 47 मिनट
ग्रहण मोक्ष 1:43 मिनट पर होगा।
ध्यान रखें सूर्य ग्रहण समय हर स्थान में अलग – अलग होगा।

इस खण्डग्रास सूर्य ग्रहण का स्पर्श – 10:09मिनट दिवा
ग्रहण का मध्य – 11:47 मिनट
ग्रहण का मोक्ष – 1:43 मिनट
ग्रहण का सूतक -10:09मिनट रात्रि (20 जून 2020)

खण्डग्रास सूर्य ग्रहण समय में भारत में पड़ने वाले प्रभाव –
सूर्य चंद्र बुध सूर्य राहु की युति एवं 6 ग्रह वक्री हैं बुध, गुरु, शुक्र शनि राहु और केतु तथा मृगशिरा नक्षत्र में 4 ग्रहों की युति ।
इसका परिणाम बहुत ही भयानक हो सकती है।
जैसे – कोई बड़ा बम विस्फोट, आगजनी समस्या, अनकहीं घटना, युद्ध, आकाशीय घटना,भूकम्प, तूफान, उच्च स्तरीय नेताओं की असामयिक मृत्यु, एवं सीमा पर उठा-पटक की संभावना बन सकती है।

राशिफल –
मेष – समय लाभदायक रहेगा । इस समय आप ॐ नमो भगवते वासुदेवायः का जप करें।
वृष – समय अनुकूल नहीं है। इस समय आप ॐ गं गणपतये नमः का जप करें।
मिथुन – मानसिक परेशानी। इस समय आप ॐ घृणी सूर्याय नमः का जप करें।
कर्क – आर्थिक क्षति। इस समय आप ॐ नमः शिवाय का जप करें।
सिंह – समय लाभकारी है। इस समय आप गायत्री मंत्र का जप करें।
कन्या – समय अनुकूल है। इस समय आप आप ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चै का जप करें।
तुला – मानसिक तनाव हो सकता है। इस समय आप ॐ नमः शिवाय का जप करें।
वृश्चिक – समय कष्टकारी हैं। इस समय आप हनुमान चालीसा का पाठ करें।
धनु – पीड़ादायक समय हैं। इस समय आप ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का जप करें।
मकर – लाभकारी समय हैं। इस समय आप हनुमान चालीसा का पाठ करें।
कुम्भ – समय अनुकूल नहीं है। इस समय आप बजरंग बाण का पाठ करें।
मीन – समय अनुकूल है। इस समय आप गायत्री मंत्र का जप करें।

👉 सूतक लग जाने पर मंदिर में प्रवेश करना, मूर्त्ति को स्पर्श करना, भोजन करना, मैथुन करना, सोना, यात्रा करना इत्यादि वर्जित है लेकिन बालक, वृद्ध, रोगी अत्यावश्यक में पथ्याहार ले सकते हैं।
भोजन सामग्री जैसे दूध, दहीं घी इत्यादि कुश या तुलसी दल रख दें।
गर्भवती महिलाएं पेट पर गाय के गोबर का पतला लेप लगायें।
ग्रहण के पश्चात स्नान दान करके भोजन करें।
(अग्रे हरि इच्छा बलीयसी)

धन्यवाद 🙏

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