रेरा से खरीदारों को नहीं मिल रही है मदद : ए.के. सिंह, खरीदार
उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी, ग्रेटर नोएडा हर महीने करोड़ों खर्च के बावजूद फ्लैट खरीददार को कुछ नहीं मिलता? ए.के .सिंह एक खरीदार हैं , उन्होंने बताया — आप सबका ध्यान उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी ग्रेटर नोएडा के कार्यों के संदर्भ में कराना चाहता हूं। इस प्राधिकरण का गठन सरकार ने इसलिए किया था कि खरीददार जिनको बिल्डरों या किसी अन्य से उत्पीड़न किया गया हो या अन्याय हुआ हो तो वे अन्याय के खिलाफ यहां परिवाद दायर कर सके और न्याय पा सके। इस ऑफिस द्वारा कई निर्णयों लिए गए लेकिन अब तक ऐसा कुछ नहीं लगा की खरीदार को न्याय यह प्राधिकरण दिलाने में सक्षम हुआ हो। क्या यह प्राधिकरण एक साजिश के तहत छोटे-मोटे निर्णय दे देता है जिसका क्रिनान्यवन तक नहीं होना होता है। क्या ऑनलाइन एमपी कोर्ट भी एक छलावा है? प्रश्न दो उठते हैं पहला की क्या ऑनलाइन समस्या खड़ी करने के लिए है या समस्या का निदान करना है, और दूसरा प्रश्न यह है कि क्या रेरा ऑफिस ग्रेटर नोएडा खरीदारों के हित में काम कर रही है या खरीदारों को बेवकूफ बनाकर किसी और के हित को साधा जा रहा है? रेरा ऑफिस एक छलावा है और बहुत ही सुनियोजित तरीके से उन्हीं को फायदा पहुंचाया जा रहा है जिनसे खरीदार परेशान हैं।
इस ऑफिस में काम करने वाले सारे अधिकारी सेवानिवृत्त वाले है उनको सरकारी सुविधाएं मिली हुई है, नौकर, चाकर, गाड़ी मिली हुई है अच्छी सैलरी मिल जाती है, ऑफिस मिला हुआ है, आगे इनकी कोई जिम्मेदारी नहीं है ना ही इन्हे अपनी नौकरी में प्रमोशन लेना है और ना ही कुछ और। यहां से सारे लोगों से संबंध बनता है ऐसे लोग क्या खरीदार का हित देखेंगे या सिर्फ यह टाइम पास करने के लिए आ गए हैं? क्या सरकार खरीददारों के हितों की रक्षा के लिए अपने सिस्टम को और तेज करेगी और न्याय दिलवाएगी या फिर उन्ही को फायदा दिलाने का काम होगा जिनके खिलाफ रेरा को बनाया गया था।