सदैव अन्याय के खिलाफ उठा है भगवान परशुराम का फरसा
ग्रेटर नोएडा:भगवान परशुराम की जयंती पर शनिवार को कहीं कोई कार्यक्रम नहीं हो पाएगा। कोरोना महामारी के चलते देश भर लॉकडाउन के कारण लोगों को अपने घरों में ही भगवान परशुराम की जयंती मनाना होगा l
ऋषभ शर्मा ने कहा कि वैश्विक महामारी के प्रकोप से बचाने के लिए सभी को मिलजुल का भगवान परशुराम से प्रार्थना करनी चाहिए। परशुराम का अर्थ फरसा धारण किए हुए श्रीराम से है, अर्थात विष्णु अवतार परशुराम को परम पितृभक्त माना गया है। पिता ऋषि जगदग्री एवं माता रेणुका के पांच पुत्रों रुक्मान, सुखेण, वसु, विश्वानस तथा सबसे छोटे पुत्र हुए परश्ुाराम। ब्राह्मण होते हुए भी उन्हें क्षत्रियों की तरह एक वीर योद्धा के रूप में जाना जाता है।
भगवान परशुराम भारत की ऋषि परंपरा के महान वाहक हैं, उनका शस्त्र और शास्त्र दोनों पर ही समान अधिकार था। पंडित शिव किशोर वासुदेव ने कहा कि गंगा पुत्र भीष्म, आचार्य द्रोण तथा कुंती पुत्र कर्ण भी जैसे महायोद्धा उनके शिष्य थे।
भगवान परशुराम का मानना था कि अन्याय करना और सहना दोनों ही पाप हैं। इसलिए उनका फरसा सदैव अन्याय के खिलाफ उठा है। जब उन्हें यह ज्ञात हो गया कि धरती पर भगवान श्रीहरि ने सातवां अवतार श्रीराम के रूप में ले लिया है, तब उन्होंने अपने क्रोध की ज्वाला को शांत करने और तपस्या के उद्देश्य से महेंद्रगिरि पर्वत का रुख किया। ऐसा माना जाता है कि भगवान परशुराम आज भी महेंद्रगिरि पर्वत पर चिरकाल से तपस्यारत हैं। आओ हम मिलकर उन्हें उनकी जयंती पर स्मरण करें और विश्व शांति का उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।