20 साल बाद अमावस्या और नवरात्र एक दिन में , जानिए पूजा के श्रेष्ठ मुहूर्त
लेखक : आचार्य , अशोकानंद महाराज,(योगिराज पीठाधीश्वर, बिसरख धाम,रावण जन्म भूमि ग्रेटर नोएडा गौतमबुद्ध नगर
इस वर्ष नवरात्र बहुत ही खास है । 20 वर्ष बाद पहली बार नवरात्रि तथा अमावस्या एक ही दिन होने से श्रद्धालुओं के समक्ष संकट खड़ा हो गया है कि वो अमावस्या को मानें या नवरात्रि के लिए घट स्थापना करें।
ashokanandज्योतिष की गणना का कहना है इस वर्ष चैत्र अमावस्या 28 मार्च की सुबह 8.29 पर खत्म होगी जबकि 8.29 पर चैत्र शुक्ल प्रतिपदा आरम्भ हो जाएगी जिसके साथ ही नवरात्रि शुरू हो जायेगा । ऐसे में श्रद्धालुओं में यह कन्फ्यूजन उत्पन्न हो गया है कि क्या करना चाहिए।
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विद्वान ज्योतिषियों के का कहना है यह कोई बड़ी समस्या नहीं है। इसका सबसे सीधा समाधान यही है कि अमावस्या से संबंधित सभी कार्य 28 मार्च की सुबह 8.27 तक पूर्ण कर लें । इसके बाद नवरात्रि पूजा के लिए कलश स्थापना का कार्य आरंभ किया जा सकता है। 28 मार्च को सुबह 8.30 बजे बाद नवरात्र पूजा आरंभ की जा सकती हैं।
जो लोग इतनी जल्दी अमावस्या के कार्य करने में असमर्थ हों वो 27 मार्च के दिन भी शास्त्रानुसार कर्म कर सकते हैं। इस वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का क्षय हुआ है अर्थात् प्रतिपदा 28 मार्च 2017 मंगलवार को सूर्योदय बाद प्रात: 8.29 पर प्रारंभ होकर मंगलवार अर्द्धरात्र्योत्तर अगले दिन सूर्योदय पूर्व प्रात: 6.24 पर समाप्त हो रही है। मंगलवार व बुधवार दोनों ही दिन प्रतिपदा उदय व्यापिनी नहीं बनी है।
ये हैं घट स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त :
श्रेष्ठ चौघड़ियों की दृष्टि से प्रात: 9.29 से दोपहर बाद 2.04 तक क्रमश: चर, लाभ व अमृत के चौघड़ियों में भी घट स्थापना की जा सकती है। घट स्थापना का श्रेष्ठ समय दोपहर 12.08 से 12.56 तक अभिजित मुहूर्त में सर्वश्रेष्ठ समय है। इनके अतिरिक्त मंगलवार सुबह 8.29 से 9.30 तक 11 से दोपहर 2.00 बजे तक भी घट स्थापना कर सकते हैं।
जय माता दी,
आज का संकल्प व्रत
हमेशा अपने वास्तिक रूप में रहो , खुद को व्यक्त करो , स्वयं में भरोसा रखो , बाहर जाकर किसी और सफल व्यक्तित्व को मत तलाशो और उसकी नक़ल मत करो।
गलतियां हमेशा क्षमा की जा सकती हैं , यदि आपके पास उन्हें स्वीकारने का साहस हो
आप का हर दिन हर पल शुभ हो रहे , मंगल कामनाये सदैव
जय श्री राधे कृष्णा ।