एपीजे स्कूल ने मनाया भूजल संरक्षण दिवस

ग्रेटर नोएडा : जिलाधिकारी के आदेश को मद्देनजर रखते हुए एपीजे इंटरनैशनल स्कूल ग्रेटर नोएडा के कक्षा एक से लेकर कक्षा बारहवीं तक के विद्यार्थियों ने ‘भूजल संरक्षण’ दिवस का आयोजन किया | इस कार्यक्रम के अंतर्गत विद्यालय के प्रांगण में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया गया जैसे – श्लोगन , नाटिका , कविता लेखन , विज्ञापन इत्यादि |

इन कार्यक्रमों के जरिए विद्यार्थियों ने समाज को जल संरक्षण के आसान उपाय बताए कि स्नान करते समय शावर की अपेक्षा `बाल्टी´का प्रयोग करे तो बहुत जल बचाया जा सकता है। पुरूष वर्ग शेविंग बनाते समय यदि नल बन्द रखे तो बहुत जल बच सकता है। रसोई में जल बाल्टी भरकर अगर बर्तन साफ करें, तो जल की बहुत बड़ी हानि रोकी जा सकती है।अगर प्रत्येक घर की छत पर वर्षा जल का भंडार करने के लिए एक या दो टंकी बनाई जाएँ और इन्हें मजबूत जाली या फिल्टर कपड़े से ढ़क दिया जाए तो हर नगर में `जल संरक्षण´ किया जा सकेगा। इसके लिए विद्यार्थियों ने एक जल प्लांट भी बनाकर दर्शाया कि किस प्रकार जल की बचत कर हम अपने भविष्य को बचा सकते हैं | सार्वजनिक पार्कों, अस्पतालों, मन्दिरों आदि में लगी नल की टोंटियाँ खुली या टूटी रहती हैं, तो अनजाने ही प्रतिदिन हजारों लीटर जल बेकार हो जाता है। इस बरबादी को रोकने के लिए नगर पालिका एक्ट में टोंटियों की चोरी को दण्डात्मक अपराध बनाकर, जागरूकता भी बढ़ानी होगी।

दिन – प्रतिदिन पेड़ों को काटा जा रहा है इन पेड़ों के काटने से दोहरा नुकसान हो रहा है। पहला यह कि वाष्पीकरण न होने से वर्षा नहीं हो पाती और दूसरे भूमिगत जल सूखता जाता हैं। बढ़ती जनसंख्या और औद्योगीकरण के कारण जंगल और वृक्षों के अंधाधुंध काटने से भूमि की नमी में लगातार कमी होती जा रही है, इसलिए वृक्षारोपण लगातार किया जाना जरूरी है। प्रत्येक विद्यालय यदि अपने विद्यार्थियों द्वारा ‘वन चाइल्ड वन पॉट’ का आयोजन करे तो काफी हद तक इस समस्या से छुटकारा मिल सकता है

विद्यालय की प्रधानाचार्या श्रीमती यशिका भारद्वाज ने प्रदेश के जिलाधिकारी के द्वारा उठाए गए ‘भूजल संरक्षण ‘ कदम की काफी सराहना की और बताया कि विद्यालयों में `पर्यावरण´ की ही तरह `जल संरक्षण´ विषय को अनिवार्य रूप से पढ़ा कर रोका जाना बेहद जरूरी है। एपीजे विद्यालय समाज के लिए उपयोगी कार्य में हमेशा बढ़ – चढ़कर हिस्सा लेता है ‘वन पॉट वन चाइल्ड’ कार्यक्रम पिछले कई वर्षों से चला आ रहा है जिसमें प्रत्येक विद्यार्थी अपने पौधे की देखभाल पूरे वर्ष करता है |

निश्चय ही `जल संरक्षण´ आज के विश्व-समाज की सर्वोपरि चिन्ता होनी चाहिए, चूंकि उदार प्रकृति हमें निरन्तर वायु, जल, प्रकाश आदि का उपहार देती है, लेकिन स्वार्थी आदमी सब कुछ भूल कर प्रकृति के सन्तुलन को ही बिगाड़ने पर तुला हुआ है उसे यह नहीं पता कि जल है तो कल है |

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