मुहर लगी , लखनऊ -नोएडा में लागू होगी पुलिस कमिश्नर प्रणाली, पुलिस को मिलेंगे ये अधिकार
पुलिस कमिश्नर सिस्टम से जुड़ी बड़ी खबर
14 जनवरी को मिलेगा पुलिस कमिश्नर, लखनऊ और नोएडा को मिलेगा पुलिस कमिश्नर ,मंगलवार की कैबिनेट बैठक में लगेगी मुहर, लखनऊ-नोएडा में प्रयोग का प्रस्ताव तैयारकमिश्नर, 2 एडिशनल कमिश्नर पद का प्रस्ताव , डीआईजी रैंक के होंगें एडिशनल कमिश्नर , एडिशनल कमिश्नर लॉ एण्ड आर्डर का प्रस्ताव, एडिशनल कमिश्नर एडमिन का भी प्रस्ताव , एएसपी का पद अब डीसीपी का होगा डीसीपी मतलब पुलिस उपायुक्त का पद होगा सीओ की जगह अब एसीपी पद का प्रस्ताव , एसीपी मतलब सहायक उपायुक्त का पद .
पुलिस कमिश्नर को मिलती है मजिस्ट्रेट की पॉवर
भारतीय पुलिस अधिनियम 1861 के भाग 4 के अंतर्गत जिलाधिकारी यानी डिस्ट्रिक मजिस्ट्रेट के पास पुलिस पर नियत्रंण के अधिकार भी होते हैं. इस पद पर आसीन अधिकारी IAS होता है. लेकिन पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू हो जाने के बाद ये अधिकार पुलिस अफसर को मिल जाते हैं, जो एक IPS होता है. यानी जिले की बागडोर संभालने वाले डीएम के बहुत से अधिकार पुलिस कमिश्नर के पास चले जाते हैं.
कमिश्नर के पास होते हैं कई अहम अधिकार
दण्ड प्रक्रिया संहिता (CRPC) के तहत एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट (Executive Magistrate) को भी कानून और व्यवस्था को विनियमित करने के लिए कुछ शक्तियां मिलती है. इसी की वजह से पुलिस अधिकारी सीधे कोई फैसला लेने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं, वे आकस्मिक परिस्थितियों में डीएम या कमिश्नर या फिर शासन के आदेश के तहत ही कार्य करते हैं, लेकिन पुलिस कमिश्नरी प्रणाली में IPC और CRPC के कई महत्वपूर्ण अधिकार पुलिस कमिश्नर को मिल जाते हैं.
प्रतिबंधात्मक कार्रवाई का अधिकार
पुलिस कमिश्नर प्रणाली में पुलिस कमिश्नर सर्वोच्च पद होता है. ज्यादातर यह प्रणाली महानगरों में लागू की गई है. पुलिस कमिश्नर को ज्यूडिशियल पॉवर भी होती हैं. CRPC के तहत कई अधिकार इस पद को मजबूत बनाते हैं. इस प्रणाली में प्रतिबंधात्मक कार्रवाई के लिए पुलिस ही मजिस्ट्रेट पॉवर का इस्तेमाल करती है. एक हरियाणा के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक पुलिस प्रतिबंधात्मक कार्रवाई का अधिकार मिलने से अपराधियों को खौफ होता है. क्राइम रेट भी कम होता है.
बड़े महानगरों के लिए उपयोगी है कमिश्नर प्रणाली
हरियाणा में 3 महानगरों में पुलिस कमिश्नरी प्रणाली लागू है. इन शहरों में एनसीआर (NCR) के गुरुग्राम, फरीदाबाद और चंडीगढ़ से लगा पंचकुला शहर शामिल है. हरियाणा पुलिस के एडीजी स्तर के एक अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि दिल्ली एनसीआर में आने वाले दूसरे राज्यों के महानगरों की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है. वहां देशभर के लोग रहने के लिए आते हैं.
NCR के महानगरों में कप्तान
वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक NCR के महानगरों में कई बड़ी कंपनिया और अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय भी हैं. ऐसे में आर्थिक अपराध के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं. आए दिन वीआईपी लोगों का आना-जाना भी लगा रहता है. उनकी सुरक्षा और अवागमन से संबंधित कार्य भी रहते हैं. इसके अलावा रोजमर्रा की घटनाएं, यातायात संबंधी मामले भी भारी संख्या में आते हैं. ऐसे में एसएसपी या एसपी स्तर का अधिकारी पूरे जिले को नहीं संभाल सकता.
जोन में बांट दिया जाता है महानगर
पुलिस कमिश्नरी प्रणाली लागू होने से पुलिस को बड़ी राहत मिलती है. कमिश्नर का मुख्यालय बनाया जाता है. एडीजी स्तर के सीनियर आईपीएस को पुलिस कमिश्नर बनाकर तैनात किया जाता है. महानगर को कई जोन में विभाजित किया जाता है. हर जोन में डीसीपी की तैनाती होती है. जो एसएसपी की तरह उस जोन को डील करता है. सीओ की तरह एसीपी तैनात होते हैं. जो 2 से चार थानों को डील करते हैं.
आर्म्स एक्ट के मामले भी निपटाते हैं कमिश्नर
खास बात ये कि आर्म्स एक्ट के मामले भी पुलिस कमिश्नर डील करते हैं. इस तरह है महानगर की कानून व्यवस्था भी मजबूत होती है और नागरिकों को सुरक्षा का अहसास होता है. जो लोग हथियार का लाइसेंस लेने के लिए अवादेन करते हैं, उसके आवंटन का अधिकार भी पुलिस कमिश्नर को मिल जाता है. पुलिस कमिश्नर की सहायता के लिए ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर, असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर भी तैनात किए जाते हैं.
अंग्रेजों ने शुरू की थी पुलिस कमिश्नर प्रणाली
पूरे देश में पुलिस प्रणाली पुलिस अधिनियम, 1861 पर आधारित थी और आज भी ज्यादातर शहरों में पुलिस प्रणाली इसी अधिनियम पर आधारित है. इसकी शुरूआत अंग्रेजों ने की थी. तब पुलिस कमिश्नर प्रणाली भारत के कोलकाता (कलकत्ता), मुंबई (बॉम्बे) और चेन्नई (मद्रास) में हुआ करती थी. तब इन शहरों को प्रेसीडेंसी सिटी कहा जाता था. बाद में उन्हें महानगरों रूप में जाना जाने लगा.