हिन्दी साहित्य को नया अमली जामा पहना रहा है वेब-चौपाल “तीखर”
ग्रेटर नोएडा। हिन्दी साहित्य का नया शिल्पकार तीखर आज के डिजिटल युग में हिन्दी साहित्य की नई परम्परा का संवाहक है। यह एक नए रूप में बड़े ही रोचक कलेवर के साथ जिस अनूठे अंदाज में हिन्दी का प्रस्तुतिकरण कर रहा है, वह वाकई प्रशंसनीय है। हिन्दी साहित्य जगत में ‘तीखर’ फेसबुक का एक ऐसा लोकप्रिय पेज है जो हिंदीभाषा की सेवा व समृद्धि के लिए निरंतर लगा हुआ है। यह एक छोटा मगर प्रतिबद्ध और समर्पित प्रयास है। दरअसल, यह पेज साहित्य/कला के प्रेमियों, सुधि पाठकों, कवियों लेखकों, विचारकों एवं समीक्षकों का अपना जमघट है। इसने नवोदित लेखकों को एक प्रोत्साहन दिया है ताकि वे हिन्दीभाषा व साहित्य मे अपने योगदान को लेकर गौरवान्वित हो सकें।
साथ ही साथ तीखर उन साहित्यकारों के लिए भी क्रियान्वित है जो अभाव के चलते हाशिये पर रहे हैं, जो समाज से उपेक्षित रहे हैं। ग्रेटर नोएडा निवासी इसके संस्थापक संपादक प्रवीण अग्रहरि बताते हैं कि यह महज़ एक पेज ही नहीं बल्कि एक वेब-चौपाल है, जहाँ पर हम बात करते हैं उन साहित्यकारों की जिन पर गुजरे समय के साथ धूल की एक परत जमा हो गई है। जिनके धुँधले चेहरे और कुछ बातें ही देखने या सुनने को मिलती हैं। तीखर बस एक छोटा सा प्रयास है उस धूल को हटाकर, उन सभी चेहरों और उनकी बातों को हम सब के बीच लाने का। ऐसे मूर्धन्य लोग जिनका एक महत्वपूर्ण योगदान रहा है तत्कालीन समाज को कलमबद्ध करने का और बताने का कि हमनें क्या गलतियाँ की हैं और कहाँ पर कितनी गलतियाँ की हैं। साथ ही हम ये भी समझें कि कितनी सुन्दरता वो अपनी लेखनी में कैद करके रख गए थे जब कोई कैमरा नहीं था। हर मौसम के रंग और खुशबू को कागजों में सहेज कर रख दिया गया था, हर फूल और फल की महक और स्वाद को इतना सुन्दर तरीके से वर्णन किया कि आप उसे सिर्फ महसूस ही नहीं करें अपितु जी भी सकें। इस प्रकार यह उन साहित्यकारों को समर्पित है, जिनके नाम भी अब शायद कुछ ही लोगों को याद है। यह हिन्दीसाहित्य की जागरूकता को लेकर समय समय पर ऑनलाइन प्रतियोगिता भी करवा चुका है।