जानिए कैसे , बिना ड्राइवर के चलेगी कार, ना स्टेयरिंग छूने की जरुरत, ना एक्सेलरेटर दबाने की चिंता
ग्रेटर नोएडा : अब आपकी गाड़ी बगैर ड्राइवर के भी चल सकती है। ना तो आपको स्टीयरिंग छुने की जरुरत है और ना तो एक्सेलरेटर दाबने की. ब्रेक भी गाड़ी खुद ही लगाएगी। आपकी गाड़ी दिल्ली से आगरा बिना आपके दखल दिए आपको पहुंचा देगी। दूसरे वाहनों की कितनी स्पीड़ है, किस समय अपने आगे चलने वाले वाहन को ओवर टेक करना है अब आप की गाड़ी आप से बगैर पूछे करेगी। आप बस आराम से कार मे ड्राइविंग का आंनद लीजिये।
यह कमाल किया है शहर के नॉलेज पार्क स्थित आईआईएमटी कॉलेज ऑफ इंजिनियरिंग के R & D सेल की टीम ने। इस प्रोजेक्ट को पूरा करने वाले रिसर्च साइंटिस्ट मयंक राज ने बताया कि देश में तीन से चार कंपनियां इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही है लेकिन उनको अभी तक पूरी तरह सफलता नहीं मिली है।
वहीं विदेशी कंपनियों का यह भी कहना है कि हमारे यहां बनने वाली इस प्रकार की गाडियां भारत में सफल नहीं हो सकती हैं क्योंकि भारत में सड़कों की हालत सबसे खराब है। इस अविष्कार ने इस बात को पूरी तरह से गलत साबित कर दिया है। मयंक राज ने आगे बताया कि हमारी टीम ने एक ऐसा सेट-अप बनाया है जो कि गड्डे की पहले से पहचान कर गाड़ी की स्पीड को कम कर देगा। यह सेट-अप कार, बस, ट्रक, पैदल चलने वाले व्यक्ति, बाईक, और सड़क किनारे लगे ठेले की भी पहचान कर अपना रास्ता खुद बनाएगी। गांव को उबड़-खाबड रास्तों की भी पहचान कर लेगी। कच्ची सड़को पर दोनों तरफ के पेड़ को पहचान के रास्ता दिखाएगी। अगर आपकी कार अधिकतम 30 किमी/घंटे स्पीड क्षेत्र में है, तो वो उस स्पीड से आगे नहीं जाएगी। इस प्रोजेक्ट के मेंटर प्रोफेसर एसके महाजन ने बताया कि यह सब संभव हुआ है आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) की तकनीक के जरिए। उन्होंने आगे कहा कि इस सेट-अप में 20 कैमरे के साथ-साथ एक थर्मल कैमरा लगा है। यह कोहरा और रात के समय में भी काम पूरी तरह से काम करेगा। अगर इसको सेट-अप की कॉस्ट की बात करे तो इसको बनाने में 47000 हजार की लागत आई है। हमने अपने प्रोजेक्ट को पैटेंट के लिए भी भेज दिया है। आने वाले समय में ग्राहक 80 हजार में खरीदकर अपने वाहन में इस सेट-अप को लगा सकता है। अभी इस सेटअप की अधिकतम स्पीड 20 से 25 किमी/घंटे है, आगे इसकी लिमिट 50 किमी/घंटे हो जाएगी। हमारे इस एक्टिविटी को निति आयोग ने भी सराहा है। हमने इसकी कीमत दूसरे देशों से लगभग 100 गुना कम रखी गई है। अगर बात करे इसके अविष्कारक की तो मयंक राज 2 सालो से सेल्फ ड्राइविंग कार पर काम काम रहे हैं. उन्होंने पिछले साल अपना मास्टर्स ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग में गोल्ड मैडल के साथ पूरा किया है। वो पिछले एक साल से IIMT के र एंड डी सेल मैं रिसर्च साइंटिस्ट के पद पे कार्यरत है। IIMT कॉलेज के निदेशक मयंक अग्रवाल ने टीम को बधाइयाँ दी है और कहा है की यह अविष्कार देश के लिए मिल की पत्थर साबित होगा।