राम मंदिर सुनवाई:19 जनवरी 1885 से 2019 तक के न्यायालय का सफर आखिरी पड़ाव पर..
ग्रेटर नोएडा(रोहित कुमार):दशकों से चल रहा अयोध्या का रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद अब अपने अंतिम दौर में है|उल्लेखनीय है कि बाबरी मस्जिद और राम मंदिर के स्थान और इतिहास पर राजनितिक, ऐतिहासिक और सामाजिक-धार्मिक विवाद रहे है। हिंदु धार्मिक संघटनाए दावा करती है की 10 वी-11 वी शताब्दी में अयोध्या में राम मंदिर बनवाया गया था।
लेकिन मुस्लिम धार्मिक समूहों का मानना है सन 1528 में मुग़ल साम्राज्य का पहला बादशाह बाबर का जनरल मीर बाकि ने मूसा अशिकन के मार्गदर्शन में रामकोट के उस जगह पर मस्जिद बनवाई, और उसने उस मस्जिद को बाबर के नाम पर से नाम दे दिया।
अयोध्या केस में कब क्या-क्या हुआ
1528: माना जाता है कि अयोध्या में मस्जिद का निर्माण मुगल सम्राट बाबर ने किया था. इस कारण इसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था.
1853: कहा जाता है कि पहली बार इस जगह के पास सांप्रदायिक दंगे हुए थे.
1859: ब्रिटिश शासकों ने विवादित स्थल पर बाड़ लगा दी और परिसर के भीतरी हिस्से में मुसलमानों को और बाहरी हिस्से में हिन्दुओं को प्रार्थना करने की अनुमति दे दी.
1885: निर्मोही अखाड़े के महंत रघुबर दास ने राम चबूतरे पर मंदिर निर्माण की अनुमति के लिए मुक़दमा किया था और अदालत से मांग की कि चबूतरे पर मंदिर बनाने की इजाजत दी जाए. यह मांग खारिज हो गई.
1946: विवाद उठा कि बाबरी मस्जिद शियाओं की है या सुन्नीयों की. फैसला हुआ कि बाबर सुन्नी था इसलिए सुन्नीयों की मस्जिद है.
1949: जुलाई में प्रदेश सरकार ने मस्जिद के बाहर राम चबूतरे पर राम मंदिर बनाने की कवायद शुरू की. लेकिन यह भी नाकाम रही. 1949 में ही 22-23 दिसंबर को मस्जिद में राम सीता और लक्ष्मण की मूर्तियां रख दी गईं.
1949: 29 दिसंबर को यह संपत्ति कुर्क कर ली और वहां रिसीवर बिठा दिया गया.
1950: इस जमीन के लिए अदालती लड़ाई का एक नया दौर शुरू होता है. इस तारीख मुकदमे में जमीन के सारे दावेदार 1950 के बाद के हैं.
1950: 16 जनवरी को गोपाल दास विशारत अदालत गए. कहा कि मूर्तियां वहां से न हटें और पूजा बेरोकटोक हो. अदालत ने कहा कि मूर्तियां नहीं हटेंगी, लेकिन ताला बंद रहेगा और पूजा सिर्फ पुजारी करेगा. जनता बाहर से दर्शन करेगी.
1959: निर्मोही अखाड़ा अदालत पहुंचा और वहां अपना दावा पेश किया.
1961: सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड अदालत पहुंचा. मस्जिद का दावा पेश किया.
1986: 1 फरवरी को फैजाबाद के जिला जज ने जन्मभूमि का ताला खुलवा के पूजा की इजाजत दे दी.
1986: कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी बनाने का फैसला हुआ.
1989: वीएचपी नेता देवकीनंदन अग्रवाल ने रामलला की तरफ से मंदिर के दावे का मुकदमा किया.
1989: नवंबर में मस्जिद से थोड़ी दूर पर राम मंदिर का शिलान्यास किया गया.
25 सितंबर 1990: बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से एक रथ यात्रा शुरू की. इस यात्रा को अयोध्या तक जाना था. इस रथयात्रा से पूरे मुल्क में एक जुनून पैदा किया गया. इसके नतीजे में गुजरात, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में दंगे भड़क गए. ढेरों इलाके कर्फ्यू की चपेट में आ गए. लेकिन आडवाणी को 23 अक्टूबर को बिहार में लालू यादव ने गिरफ्तार करवा लिया.
30 अक्टूबर 1990: अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि आन्दोलन के लिए पहली कारसेवा हुई थी. कारसेवक ने मस्जिद पर चढ़कर झंडा फहराया था. इसके बाद दंगे भड़क गए.
1991: जून में आम चुनाव हुए और यूपी में बीजेपी की सरकार बन गई.
1992: 30-31 अक्टूबर को धर्म संसद में कारसेवा की घोषणा हुई.
1992: नवंबर में कल्याण सिंह ने अदालत में मस्जिद की हिफाजत करने का हलफनामा दिया.
6 दिसंबर 1992: लाखों कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद गिरा दी. कारसेवक 11 बजकर 50 मिनट पर मस्जिद के गुम्बद पर चढ़े. करीब 4.30 बजे मस्जिद का तीसरा गुम्बद भी गिर गया. जिसकी वजह से देशभर में हिंदू और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे.
2001: 9 साल बाद बाबरी विध्वंस की बरसी पर तनाव बढ़ गया और विश्व हिन्दू परिषद ने विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण करने का अपना संकल्प दोहराया.
जनवरी 2002: अयोध्या विवाद सुलझाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अयोध्या समिति का गठन किया. वरिष्ठ अधिकारी शत्रुघ्न सिंह को हिन्दू और मुसलमान नेताओं के साथ बातचीत के लिए नियुक्त किया गया. भाजपा ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अपने घोषणापत्र में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे को शामिल करने से इनकार कर दिया. विश्व हिन्दू परिषद ने 15 मार्च से राम मंदिर निर्माण कार्य शुरू करने की घोषणा कर दी.
2003: हाईकोर्ट ने 2003 में झगड़े वाली जगह पर खुदाई करवाई ताकि पता चल सके कि क्या वहां पर कोई राम मंदिर था. जून महीने तक खुदाई चलने के बाद आई रिपोर्ट में कहा गया है कि उसमें मंदिर से मिलते जुलते अवशेष मिले हैं.
मई 2003: सीबीआई ने 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी सहित आठ लोगों के खिलाफ पूरक आरोपपत्र दाखिल किए.
अप्रैल 2004: आडवाणी ने अयोध्या में अस्थायी राममंदिर में पूजा की और कहा कि मंदिर का निर्माण जरूर किया जाएगा.
जनवरी 2005: लालकृष्ण आडवाणी को अयोध्या में छह दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के विध्वंस में उनकी कथित भूमिका के मामले में अदालत में तलब किया गया. इसी साल अयोध्या के राम जन्मभूमि परिसर में आतंकी हमले हुए, जिसमें पांचों आतंकियों सहित छह लोग मारे गए.
20 अप्रैल 2006: कांग्रेस के नेतृत्ववाली यूपीए सरकार ने लिब्रहान आयोग के समक्ष लिखित बयान में आरोप लगाया कि बाबरी मस्जिद को ढहाया जाना सुनियोजित षड्यंत्र का हिस्सा था और इसमें भाजपा, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, बजरंग दल और शिवसेना की मिलीभगत थी. सरकार ने अयोध्या में विवादित स्थल पर बने अस्थाई राम मंदिर की सुरक्षा के लिए बुलेटप्रूफ कांच का घेरा बनाए जाने का प्रस्ताव किया. इस प्रस्ताव का मुस्लिम समुदाय ने विरोध किया और कहा कि यह अदालत के उस आदेश के ख़िलाफ़ है जिसमें यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए गए थे.
19 मार्च 2007: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने चुनावी दौरे के बीच कहा कि अगर नेहरू-गांधी परिवार का कोई सदस्य प्रधानमंत्री होता तो बाबरी मस्जिद न गिरी होती. उनके इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया हुई.
30 जून 2009: बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले की जांच के लिए गठित लिब्रहान आयोग ने 17 वर्षों के बाद अपनी रिपोर्ट प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सौंपी।
24 नवम्बर, 2009: लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट संसद के दोनों सदनों में पेश. आयोग ने अटल बिहारी वाजपेयी और मीडिया को दोषी ठहराया और नरसिंह राव को क्लीन चिट दी.
30 सितंबर 2010: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने आदेश पारित कर अयोध्या में विवादित जमीन को राम लला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड में बराबर बांटने का फैसला किया, जिसे सबने सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया है.
26 जुलाई, 2010: रामजन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद पर सुनवाई पूरी हुई. इसी साल 8 सितंबर को अदालत ने अयोध्या विवाद पर 30 सितंबर को हाईकोर्ट लखनऊ के तीन जजों की बेंच ने फैसला सुनाया, जिसमें मंदिर बनाने के लिए हिन्दुओं को जमीन देने के साथ ही विवादित स्थल का एक तिहाई हिस्सा मुसलमानों को मस्जिद बनाने के लिए दिए जाने की बात कही गयी. मगर यह निर्णय दोनों को स्वीकार नहीं हुआ.
9 मई 2011: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई. हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ 14 अपील दाखिल हुई.
27 सितंबर, 2018: तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने 2:1 के बहुमत से 1994 के एक फैसले में की गयी टिप्पणी पांच न्यायाधीशों की पीठ के पास नये सिरे से विचार के लिये भेजने से इंकार कर दिया था.
6 अगस्त 2019: अयोध्या में रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में मध्यस्थता से कोई नतीजा नहीं निकल सका. जिसके बाद 6 अगस्त से सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई शुरू हुई