48वां आईएचजीएफ- दिल्ली मेला आज से शुरू, केंद्रीय कपड़ा सचिव ने किया मेले का उद्घाटन

मेले का टैगलाइन है- “रिड्यूस, रीयूज और रीसाइकल”- कबाड़ में जान फूंकने की एक पहल

ग्रेटर नोएडा: कपड़ा सचिव श्री रवि कपूर ने आज ग्रेटर नोएडा के अत्याधुनिक प्रदर्शनी स्थल (एक्सबिशन वेन्यू) इंडिया एक्सपो सेंटर ऐंड मार्ट में दुनिया के सबसे बड़े 48वें आईएचजीएफ- दिल्ली मेले का उद्घाटन किया.

110 देशों से बड़ी संख्या में विदेशी खरीद समूह, खरीदार इस मेले में 3200 प्रदर्शकों द्वारा प्रदर्शित होम, लाइफस्टाइल, फैशन, फर्नीचर और टेक्सटाइल उत्पादों की अपनी जरूरतों को पूरा करने भारत आए हैं. भारतीय हस्तशिल्पों का यह भव्य शो 16-20 अक्टूबर 2019 तक आयोजित किया जा रहा है.

उद्घाटन समारोह के दौरान उपस्थित अन्य गणमान्यों में ईपीसीएच के अध्यक्ष श्री रवि के पासी; मेला प्रेसिडेंट श्री सुनित जैन; मेला वाइस प्रेसिडेंट श्रीमती नीतू सिंह, श्री रजत अस्थाना और श्री रवींद्र मिगलानी; ईपीसीएच के उपाध्यक्ष श्री सागर मेहता; ईपीसीएच के महानिदेशक श्री राकेश कुमार; Shri R.K. Verma, Director – EPCH, प्रशासनिक समिति के सदस्यों, विदेशी खरीदारों; प्रेस और मीडिया के लोग शामिल थे.

मेले का उद्घाटन करते हुए श्री रवि कपूर ने इस बात पर खुशी व्यक्त की कि यह मेला अब अपने 50वें संस्करण तक पहुंचने की ओर है. उन्होंने कहा कि हैंडीक्राफ्ट इंडस्ट्री से उनका 18 वर्ष पुराना जुड़ाव है जब आईएचजीएफ-दिल्ली का स्वरूप बढ़ना ही शुरू हुआ था. इस उद्योग की तरक्की और आईएचजीएफ- दिल्ली को अपने प्रतिभागियों और विदेशी खरीददारों के लिए कई मायने में अनूठा बनाने का श्रेय उन्होंने ईपीसीएच और इसके निर्यातक सदस्यों को दिया. उन्होंने आईएचजीएफ-दिल्ली मेले के आयोजकों का आह्वान किया कि वे एग्जीबिटर्स की संख्या वर्तमान 3200 से बढ़ाकर 10 हजार तक ले जाते हुए इस मेले को कई गुना बड़ा स्वरूप देने के लिए कार्य करें.
श्री कपूर ने इस समूचे उद्योग के विकास के लिए अपना विजन साझा करते हुए कहा कि देश में शिल्प की विरासत और स्किल्स को देखते हुए हैंडीक्राफ्ट निर्यात वर्तमान 26,590 करोड़ रुपए से एक लाख करोड़ रुपए तक पहुंचने की भरपूर संभावनाएं हैं, जिससे छोटे दस्तकार से लेकर बड़े स्तर के निर्यातकों तक हर कोई लाभान्वित हो सकता है.

श्री कपूर ने हैंडीक्राफ्ट पार्क खोलने, पर्यटन और क्राफ्ट को साथ लाकर उत्पादों और सोवेनिर्स से आगे बढ़कर पर्यटकों को एक बेहतरीन अनुभव उपलब्ध कराने पर भी बल दिया. आईएचजीएफ-दिल्ली मेले के बारे में बात करते हुए टेक्सटाईल्स सचिव ने कहा कि महिला उद्यमियों और पहली पीढ़ी के उद्यमियों को जोड़कर तथा मेले को दस्तकार केन्द्रित बनाकर इसमें आने वाले एग्जीबिटर्स की संख्या में कई गुना वृद्धि की जा सकती है. उन्होंने कहा कि पूरी हैंडीक्राफ्ट इंडस्ट्री को सस्टेनेबल मॉडल पर लाकर उत्पादन प्रक्रिया को जीरो वेस्ट उत्पादन प्रक्रिया में बदला जा सकता है.
उन्होंने एपारेल और हैंडलूम पार्क्स में हैंडीक्राफ्ट पार्क बनाने के ईपीसीएच के प्रस्ताव का स्वागत करते हुए इस बारे में अपने मंत्रालय के पूरे सहयोग और मार्गदर्शन का भरोसा दिलाया. उन्होंने कहा कि छोटी संगठित इकाइयों के बजाय इन पार्कों में उत्पादन होना लाभकारी तो होगा ही, साथ ही ऊपरी लागत (ओवरहैड कॉस्ट) में भी काफी कमी आएगी.
मुख्य अतिथि का स्वागत करते हुए ईपीसीएच अध्यक्ष श्री रवि के पासी ने कहा कि – इस मेले ने कई उपलब्धियां हासिल की हैं, जैसे कि लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड से मान्यता मिलना, मेले में सुविधाएं कई गुना बढ़ गई हैं, शामिल होने वाले देशों की संख्या 90 से बढ़कर 110 हो गई है, प्रदर्शकों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है इत्यादि. इस मेले की सफलता के पीछे हस्तशिल्प निर्यात समुदाय का विश्वास है जो बीते 25 वर्षों से लगातार इस शो के प्रत्येक संस्करण में भाग लेते आ रहे हैं.

उद्घाटन समारोह के दौरान उपस्थित गणमान्य लोगों को संबोधित करते हुए ईपीसीएच के महानिदेशक श्री राकेश कुमार ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण और दीर्घकालिक विकास को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से इस बार शो में री-फ्यूज, रिड्यूस, रीयूज और रीसाइकल पर ध्यान केंद्रित किया गया है. उन्होंने बताया कि मेले की साज सज्जा और आकर्षण को बढ़ाने के लिए प्लास्टिक, मेटल, वूड, फैब्रिक आदि की रद्दी का इस्तेमाल किया जा रहा है.

इसके अलावा, प्लास्टिक का इस्तेमाल घटाने की दिशा में परिषद आगंतुकों और प्रदर्शकों को पानी की प्लास्टिक बोतलों की जगह मेटल के बोतल दे रही है. इसी तरह इस योजना में 3 मेगावाट की रूफ टॉप सौर ऊर्जा के साथ साथ कई अन्य पहल इस मेले में की गई है ताकि कार्बन उत्सर्जन को कम से कम किया जा सके.

श्री कुमार ने बताया कि अपनी स्थापना के बाद से ईपीसीएच ने बीते 30 सालों में एक लंबा सफर तय किया है, शुरुआती 35 सदस्यों से बढ़कर अब इसके साथ देश के प्रत्येक कोने से 11000 से भी अधिक रजिस्टर्ड निर्यातक सदस्य हैं.

श्री कुमार ने कहा कि आईएचजीएफ- दिल्ली मेले ने देश से निर्यात को बढ़ाने में एक बेहद अहम भूमिका निभाई है, 1993-94 में जो निर्यात 2363 करोड़ का था वो 2018-19 में बढ़कर 26,590 करोड़ पर जा पहुंचा है.

ईपीसीएच द्वारा बनाई गई अत्याधुनिक सुविधाओं वाले इंडिया एक्सपो सेंटर ऐंड मार्ट के बारे में श्री कुमार ने कहा कि यह देश के सर्वोत्तम आयोजन स्थलों में से है जो साल भर में 8 में से पांच बड़े मेले आयोजित करता है.

हाल ही में यहीं संयुक्त राष्ट्र के कॉन्फ्रेंस ऑफ द पार्टीज के 14वें अधिवेशन का आयोजन किया गया था जिसमें 193 देशों के शिष्टमंडल ने भाग लिया था. इस आयोजन को भारत के प्रधानमंत्री ने संबोधित किया था. माननीय प्रधानमंत्री इस वेन्यू पर इस वर्ष तीन बार आ चुके हैं.

श्री कुमार ने बताया कि ईपीसीएच ने जो अन्य प्रयास किए हैं उनमें हैंडीक्राफ्ट ऐंड कार्पेट सेक्टर की स्थापना; वृक्ष की शुरुआत की- भारतीय लकड़ी वैधता मूल्यांकन और सत्यापन योजना के तहत लकड़ी की कस्टडी की चेन और वैधता को स्थापित किया जाता है जिसे संयुक्त राष्ट्र के दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के साथ मैप किया गया है, इस तरह इस योजना को विश्वसनीयता दी जाती है, जैसा कि वृक्ष दीर्घकालिक विकास को सुनिश्चित, प्रोत्साहित और समर्थन करता है; महिला उद्यमियों को प्रोत्साहित करना और सुश्री रूमा देवी सबसे उत्तम उदाहरण हैं जिन्हें बाड़मेर की 22,000 महिलाओं की मदद करने के लिए पीएमओ द्वारा नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है; निर्यातकों के बीच डिजाइन की नकल से उपजे द्वंद्व (टकराव) को सुलझाने के लिए डिजिटल डिजाइन रजिस्टर को बनाया.

शो के दौरान विभिन्न विषयों पर नॉलेज सेमिनार्स के साथ साथ फैशन शो आयोजित किए जाएंगे और प्रदर्शकों की फैशन जूलरी, एक्सेसरीज और यूटिलिटी आइटम्स के साथ मॉडल रैंप वॉक करेंगी जिससे प्रदर्शकों और विदेशी खरीदारों के इस पांच दिवसीय भव्य आयोजन में और भी ग्लैमर जुड़ेगा.

ईपीसीएच दुनिया के विभिन्न देशों में भारतीय हस्तशिल्पों के निर्यात को बढ़ावा देने वाली और उच्च गुणवत्ता वाले हस्तशिल्पों और सेवाओं के विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में भारत की छवि को विदेशों में पेश करने वाली एक नोडल एजेंसी है.

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