श्री राम मित्र मंडल : छल से सीता का हरण कर ले गया रावण
नोएडा । श्रीराम मित्र मण्डल रामलीला समिति नोएडा द्वारा आयोजित रामलीला मंचन के सातवें दिन मुख्य अतिथि वस्तु कर एवं सेवा कर के उपायुक्त पी.एस. राय, विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल एवं समाज सेवी मनोज सिंघल द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलन कर लीला मंचन का शुभारम्भ किया गया। रामलीला समिति अध्यक्ष धर्मपाल गोयल ने मुख्य अतिथियों का स्मृति चिन्ह देकर व अंगवस्त्र ओढ़ाकर स्वागत किया मंच संचालन महासचिव मुन्ना कुमार शर्मा द्वारा किया गया । रावण दरबार में सुर्पणखा विलापकरती हुई पहुंचती हैं। रावण ने उसकी दशा देखकर पूछा कि तेरे नाक कान किसने काटे । सुर्पणखा ने कहा कि राम लक्ष्मणद शरथ के पुत्र हैं । राम के छोटे भाई लक्ष्मण ने मेरे नाक कान काटे है और उन्होंने खरदूषण और त्रिसरा का भी वध कर दिया । रावण सोचता है खर दूषण को मारने वाला कोई साधारण मनुष्य नहीं हो सकता , निश्चित ही कोई अवतार है । रावण मारीचि के पास जाता है और राम से बदला लेने के लिए कपट मृग बनने को कहता है । मारीचि सोने का मृग बनकर पंचवटी से निकलता है तो सीता राम जी से उस स्वर्ण मृग की खाल लाने को कहती हैं । रामजी उसके पीछे जाते है और उस स्वर्णमृग को एक बाण से मार देते हैं । मारीचि मरते समय हा लक्ष्मण हा लक्ष्मण की आवाज करता है । सीता जी ने राम को संकट में जानकर लक्ष्मण को उनकी सहायता में भेजती है । मौका देखकर लंकेश साधु का वेश रखकर जबर दस्ती सीता को रथ में बैठा कर आकाश मार्ग से जाता है । जटायु रावण पर हमला कर देते हैं इसके बाद लंकेश जटायु के पंख तलवार से काट देता है । इधर राम लक्ष्मण पंचवटी पहुंचते हैं वहां पर सीता को न पाकर दुःखी होकर ढूंढ ने लगते हैं । रास्ते में घायल गिद्ध राज जटायु मिलते हैं वह सारा वृतांत बताते हैं और भगवान की गोद में अपने प्राण त्याग देते हैं । उसके बाद भगवान सबरी के आश्रम पहुंचते हैं जहां पर प्रेम भक्ति में सबरी के झूठे बेर खाते हैं । सुग्रीव से मित्रता होती है और सुग्रीव बाली की दुष्टता के बारे में बताता है। सुग्रीव और बाली का युद्ध होता हैं और भगवान राम बाली का वध कर देते हैं । भगवान राम कहते हैं अनुज वधू भगिनी सुतनारी । सुनुस ठक न्याए समचारी । इन्हहि कुदृष्टि विलोकइ जोई । ताहि बधे कछु पाप ना होई’। इस प्रकार प्रभु श्रीराम बाली को अपने परम धाम पहुंचा देते है । बाली वध के उपरांत सुग्रीव का राजतिलक होता है । कुछ समय व्यतीत होने के बाद सीता की खोज के लिए सुग्रीव कोई प्रयास नहीं करते हैं । इससे श्रीराम व लक्ष्मण सुग्रीव पर क्रोधित होते हैं । सीता की खोज के लिए अंगद, नील, जाम्वन्त, हनुमान को दक्षिण दिशा में भेजा जाता है । खोजते खोजते उनकी भेंट सम्पाती से होती है जो कि जटायु का भाई है । उसने बताया कि सीता लंका में है और जो सौ योजन समुंद्र को लांघ सकता हो वहीं वहां जा सकता है । समुंद्र तट पर जाम्वन्त ने हनुमान जी को उनका बल याद दिलाया । इसके बाद हनुमान जी भगवान श्रीराम का नाम सुमिर कर लंका की ओर प्रस्थान करते हैं । रास्ते में उन्हें सुरसा मिलती है । सुरसा अपना बदन सोलह योजन तक फैलाती है हनुमान जी 32 योजन तक अपना बदन फैलाते हैं । जब सुरसा समझ जाती है तो हनुमान सर नवाकर आगे चलते है । हनुमान जी अशोक वाटिका पहुंचकर जहां सीता बैठी हुई हैं उस पेड़ पर छुप जाते हैं और रामनाम की अंगूठी ऊपर से डालते हैं जिसे देखकर सीता के मन में विषमय होता है । इसके बाद सीताजी से आज्ञा पाकर हनुमान वाटिका से फल खाने लगते हैं और पेड़ तोडने लगते है । जब बाग के रखवालों ने रावण को बताया तो उसने अक्षय कुमार को भेजा जिसका हनुमान जी वध कर देते है । इसी के साथ दिन की लीला का समापन होता है । श्रीराम मित्र मंडल के अध्यक्ष धर्मपाल गोयल ने बताया कि ने बताया 06 अक्टूबर को हनुमान रावण संवाद, लंका दहन, श्रीरामेश्वरम स्थापना, सेतु बंधन, अंगद का पैर जमाना आदि प्रसंगों का मंचन किया जायेगा । इस अवसर संस्थापक अध्यक्ष बी0पी0 अग्रवाल, मुख्य यजमान उमाशंकरगर्ग, उप मुख्यसंरक्षक ओमबीर शर्मा ओंकारनाथ अग्रवाल, अध्यक्ष धर्मपाल गोयल, महासचिव मुन्ना कुमार शर्मा, कोषाध्यक्ष राजेन्द्र गर्ग, सह – कोषाध्यक्ष अनिल गोयल, सतनरायण गोयल, तरुण राज, मनोज शर्मा, मुकेश गोयल, मुकेश गुप्ता, संजय शर्मा, रविन्द्र चौधरी, आत्माराम अग्रवाल, मीडिया प्रभारीचंद्रप्रकाश गौड़, मुकेश गर्ग, एस एम गुप्ता, पवन गोयल,मुकेश अग्रवाल, सुधीर पोरवाल, राकेश गुप्ता,अजय गुप्ता, रामनिवास बंसल, ओपी गोयल,कुलदीप गुप्ता, चंद्रप्रकाश गौड़,सहित आयोजन समिति के पदाधिकारी व सदस्य उपस्थित रहे।