एल्गार परिषद-भीमा कोरेगांव मामला, नोएडा में प्रोफेसर के घर छापा

भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में आज महाराष्ट्र पुलिस ने नोएडा स्थित डीयू के एक प्रोफेसर के घर पर छापेमारी की कार्यवाही की है । जिस प्रोफेसर के घर पुलिस ने छापा मारा उनका नाम हनी बाबू बताया जा रहा है। हनी बाबू दिल्ली यूनिवर्सिटी में अंग्रेजी के प्रोफ़ेसर बताए जा रहे हैं। वह नोएडा के सेक्टर 78 स्थित हाइड पार्क सोसायटी में रहते हैं। जानकारी के मुताबिक छापेमारी के दौरान हनी बाबू घर में ही मौजूद थे।

पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक डीयू प्रोफेसर के घर में छापेमारी के दौरान कुछ किताबें मिली है। पुलिस ने पंचनामा करवाकर किताबों को जब्त कर लिया है। इसके अलावा अन्य कुछ चीजें भी पुलिस साथ ले गई है, हालांकि इसके बारे में अभी तक कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है।

पुलिस के अनुसार, छापेमारी कार्यवही की वीडियो रिकॉर्डिंग भी की गई। छापेमारी की टीम में डीसीपी क्राइम बच्चन सिंह, एसीपी शिवराज पंवार, साइबर एक्सपर्ट और अन्य लोग भी मौजूद रहे। छापेमारी में नोएडा सेक्टर 49 थाना पुलिस और गौतमबुध नगर के एसएसपी वैभव कृष्ण ने महाराष्ट्र पुलिस को सहयोग दिया। फिलहाल किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।

गौरतलब है कि वर्ष 2018 में भीमा कोरेगांव हिंसा में डीयू प्रोफेसर का नाम प्रकाश आया था। उस समय इस मामले में नक्सलियों का हाथ होने की बात सामने आई थी। जिसके बाद महाराष्ट्र पुलिस ने कई लोगों को नजरबंद किया था। हनी बाबू का नाम भी इस मामले में चर्चा में आया था। जिसके बाद आज दोपहर महाराष्ट्र पुलिस उनके नोएडा स्थित आवास पर छापेमारी करने पहुंची।

क्या है पूरा मामला

भीमा-कोरेगांव हिंसा एक जनवरी 2018 को हुई थी। भीमा-कोरेगांव युद्ध की 200वीं वर्षगांठ के दौरान नए साल के दिन पुणे में दलित समूहों और दक्षिणपंथी हिंदू संगठनों के बीच संघर्ष हो गया था, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। 31 दिसंबर 2017 को पुणे में एलगार परिषद का आयोजन किया गया था। इस परिषद के दूसरे दिन भीमा कोरेगांव में हिंसा हुई थी। हिंसा के लिए यलगार परिषद के आयोजन पर भी आरोप लगाया गया था।

इसी दौरान मुंबई और कल्याण से कई माओवादी कार्यकर्ता पकड़े गए थे। जिनसे पूछताछ में भीमा कोरेगांव दंगे में माओवादी साजिश का पता चला था। नए साल के मौके पर महाराष्ट्र के पुणे जिले में भीमा-कोरेगांव की लड़ाई का जश्न मनाने के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया लेकिन ये कार्यक्रम हिंसक झड़प में तब्दील हो गया। इस झड़प में एक व्यक्ति की मौत हो गई और इलाके में तनाव फैल गया। ये जश्न अंग्रेजों की जीत को लेकर मनाया गया था। दलित संगठन, पेशवा बाजीराव द्वितीय की सेना पर अंग्रेजों के शौर्य दिवस को हर साल धूमधाम से मनाते हैं।

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