मूलभूत सुविधाओं से मरहूम है ग्रेटर नोएडा के औद्योगिक क्षेत्र : आईआईए
ग्रेटर नोएडा। उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए केंद्र एवं प्रदेश सरकार द्वारा भले ही तमाम योजनाएं चलाई जा रही हों, लेकिन औद्योगिक शहर ग्रेटर नोएडा के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमी संतुष्ट नहीं हैं। नाली, सड़क, पानी, परिवहन व सुरक्षा व्यवस्था जैसी मूलभूत सुविधाओं की मारझेल रहे उद्यमियों ने इसके लिए सीधे तौर पर स्थानीय जिला प्रशासन, प्राधिकरण व यूपीएसआईडीसी को जिम्मेदार ठहराया है। आरोप है कि केंद्र एवं प्रदेश सरकार द्वारा जारी शासनादेशों एवं नियमों का पालन नहीं हो रहा है। सरकारी विभागों पर शोषणा का भी आरोप है।
शुक्रवार को इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (आईआईए) ग्रेटर नोएडा चैप्टर की बैठक हुई, जिसमें आगे की रणनीति तैयार की गई।
आईआईए ग्रेटर नोएडा चैप्टर के चेयरमैन एसपी शर्मा का कहना है कि औद्योगिक शहर ग्रेटर नोएडा में विकास की अपार संभावनाएं हैं, इसके बावजूद यहां उद्योगों की स्थिति दयनीय है। बड़े उद्योगों को छोड़ दें तो छोटे उद्योगों की तरफ किसी का ध्यान नहीं है। औद्योगिक सेक्टरों की सड़क खस्ताहाल हो गई हैं। नाली व पानी निकासी की व्यवस्था न होने से बरसात के मौसम में बहुत अधिक परेशानी होती है। कम्पनियों में पानी घुस जाने से भारी नुकसान होता है। श्रमिकों के लिए ईएसआई डिस्पेंसरी व सार्वजनिक परिवहन की व्यवस्था नहीं है। मूलभूत सुविधाओं की मारझेल रहे उद्यमियों की समस्याओं से मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव को भी अवगत कराया जा चुका है, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। जांच के नाम पर सरकारी विभागों द्वारा छोटे उद्यमियों का शोषण किया जा रहा है। एसपी शर्मा का कहना है कि प्रदेश में भाजपा की सरकार आने पर उद्यमियों को एक नई आशा की किरण दिखाई दी थी, क्योंकि सरकार ने प्राथमिकता के आधार पर नई औद्योगिक निवेश एवं रोजगार सृजन पोलिसी 2017 की घोषणा कर दी थी। इसके तहत उद्यमियों को तमाम सुविधाएं व लाभ देने का वायदा किया गया, लेकिन धरातल पर कुछ दिखाई नहीं पड़ रहा है। सारे दावे व वायदे कागजी साबित हो रहे हैं। केंद्र की मोदी सरकार 59 मिनट में लोन का वायदा करती है, लेकिन किसी को नहीं मिल रहा है। छोटे उद्यमियों में इस बात को लेकर भी रोष है कि केंद्र सरकार ने सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों से 25 प्रतिशत सामान की खरीद सभी केंद्रीय विभागों एवं उपक्रमों में करना अनिवार्य कर दिया है, परन्तु प्रदेश सरकार ने इसे अभी तक लागू नहीं किया है। उनका कहना है कि शासन प्रशासन की उदासीनता के चलते शहर के कई छोटे उद्योग बंद होने के कगार पर पहुंच गए हैं।
एसोसिएशन के पदाधिकारी जितेंद्र पारिक ने कहा कि प्रदेश एवं केंद्र सरकार द्वारा जारी शासनदेशों एवं नियमों का पालन नहीं हो रहा है। यूपीसीडा प्रदेश में उद्योगों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्थापित किया गया है, परन्तु यह प्राधिकरण भी नियम विरुद्ध मनमाने शुल्क अपने घाटे की पूर्ति के लिए लगा रहा है, जिससे प्रदेश में उद्योगों को आर्थिक कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। औद्योगिक क्षेत्रों में मेंटीनेंस चार्ज एवं विस्तारीकरण शुल्क में बढ़ोतरी लीज डीड की शतरे के विपरीत कर दी गई है। इस मौके पर एडी पांडेय, सव्रेश गुप्ता, विशारद गौतम, बीआर भाटी आदि पदाधिकारी व सदस्य गण मौजूद रहे।