दिल्ली का उभरता सितारा, बाल कलाकार दिव्यांशु
नई दिल्ली : पूर्वी दिल्ली के प्रीत विहार में स्थित हिलवुडस एकेडमी की कक्षा दसवीं में पढ़ने वाले बहुमुखी प्रतिभा के धनी बाल कलाकार दिव्यांशु निशाना जल्द ही नजर आएंगे अगले माह में लांच होने वाली फिल्म समर कैम्प में । इस फिल्म में दिव्यांशु बंटी के किरदार में नजर आएंगे, आपको बता दें बंटी इस फिल्म में अमेरिका रिटर्न है वह अमेरिका से वापस गर्मियों की छुट्टियों में प्रेम शांति आश्रम अपने बाबू जी( दादा) से मिलने आते हैं । इस फिल्म में बाबूजी का रोल जाने-माने फिल्म और टीवी कलाकार पृथ्वी जुत्सी ने निभाया है, यह फिल्म बच्चों और बच्चों की समस्या पर आधारित है । दिव्यांशु ने बताया कि इम्वा अवॉर्ड्स में आए इस फिल्म के निर्देशक कुणाल वी सिंह ने मेरा कॉन्फिडेंस और मेरा हौसला देखकर मुझे फिल्म में अहम भूमिका निभाने के लिए चयन किया ।
जब दिव्यांशु से शूटिंग के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि समर कैम्प की शूटिंग नासिक, इगतपुरी,जयपुर और दिल्ली में हुई है। हम सभी कलाकार वहां एक परिवार की तरह ही घुलेमिले रहते थे, फ़िल्म के निर्देशक कुणाल सर ने किसी भी बच्चे को किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं आने दी।
दिव्यांशु ने बताया कि मैंने पहली बार कैमरा फेस किया था मुझे डर था कि अगर मुझसे गलती हुई तो री टेक के लिए कुणाल सर मुझे डांटेंगे, पर जब मैंने कुणाल सर के साथ काम किया तो मुझे पता चला कि कुणाल सर का स्वभाव बहुत ही बढ़िया है और वह बहुत उत्साहवर्धन करने वाले व्यक्ति हैं । उनके साथ काम करके मुझे अच्छा लगा । मुझे पहली बार में ही अपने से बड़े कलाकारों के साथ काम करने का अनुभव मिला। जैसे हेमंत पांडे, पृथ्वी जुतथी, सौरभ अग्रवाल और कई अन्य कलाकारों के साथ काम किया । मैं बहुत भयभीत भी था, पर मेरे साथ काम करने वाले मेरे वरिष्ठ कलाकारों ने मेरा हौसला बढ़ाया और मुझे कहा कि कोई बात नहीं, करते रहो – करते रहो अच्छा करने की प्रेरणा देकर हमेशा मेरा हौसला बढ़ाया । मैं फ़िल्म में गांव के बच्चों का मुखिया हुँ । जब प्रेम शांति आश्रम को न्यायालय से पत्र आता है और जब बाबूजी को पैसों की जरूरत होती है तो हमारे बाबूजी एक समर कैंप का आयोजन करते हैं जिससे सारा खर्च चल सके इस फिल्म में हेमंत पांडे गुरु घंटाल बाबा के रोल में नजर आएंगे जोकि एक ज्ञान नामक व्यक्ति के साथ मिलकर प्रेम शांति आश्रम पर कब्जा करना चाहते हैं और वह सोचते हैं कि यह तो बच्चे हैं इन बच्चों को यहां से डरा कर भगाया जा सकता है, तथा प्रेम शांति आश्रम पर आराम से कब्जा किया जा सकता है ।
फ़िल्म में बाबा का एक सपना भी नज़र आएगा कि वो एक फ़िल्म बनाना चाहते हैं, उस फिल्म में वो ही हीरो हों, निर्माता-निर्देशक भी खुद हों। लेकिन बच्चों की एकजुटता बाबा के सभी सपने चूर चूर कर देगी और उसे जेल भेज देगी। अंत में इस फिल्म में सच्चाई और अच्छाई की जीत होती है, एकता और संगठन की शक्ति को इस में दिखाया है, और साथ ही इस फ़िल्म में यह भी दिखाया है कि कभी अपने बुजुर्गों को और अपने दादी बाबा को अकेला कभी नहीं छोड़ना चाहिए । दिव्यांशु ने कहा कि मैं निर्देशक कुणाल सर, अपने माता-पिता और साथ ही अपने प्रधानाचार्य का धन्यवाद करता हुँ कि उन्होंने मुझे इतनी बड़ा अवसर दिया और जब मेरा चयन हुआ तब मेरी परीक्षा चल रही थी तो मेरी प्रधानाचार्य ने मुझे छुट्टी प्रदान करी। मेरे साथ फिल्म में नजर आने वाले मेरे सहयोगी कलाकार करण वारियर, पलक पाल ,गौरव सरथे, अल्ताफ,दिनेश, वृत्ति मनचंदा, प्रिंस शर्मा, मोहित शर्मा,अरमान आफरीदी, ज्ञानदा नलवा, रिद्धिमा ,कायरा उपाध्याय ,निक्की के साथ केल्विन, भार्गव और भी कई जो बड़े पर्दे पर मेरे साथ नजर आएंगे ।