दो गांवों की जमीन का जेवर एयरपोर्ट के लिए नहीं होगा अधिग्रहण
ग्रेटर नोएडा: जेवर एयरपोर्ट के लिए दो गांवों की जम्में का अधिगाहन नहीं किया जायेगा। यह दोनों गांव आंशिक रूप से ही एयरपोर्ट की सीमा में आ रहे थे। अधिग्रहण से मुक्त होने पर इन गाँव में रहने वाले 452 परिवार को मिलेगा। उन्हें विस्थापित होने की जरुरत नहीं है। जल्द ही एक और गांव में अधिग्रहण से बाहर किया जा सकता है। गांवों को अधिग्रहण से मुक्त करने का फैसला शुक्रवार को गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय में हुई विशेषज्ञ समूह की बैठक में लिया गया है।
जेवर एयरपोर्ट के पहले चरण के लिए आठ गांवों की 1441 हेक्टेयर भूमि के अधिग्रहण का प्रस्ताव जिला प्रशासन को भेजा गया था। इन गांवों में रामनेर, मुकीमपुर सिवारा, बनबारीवास, रोही, किशोरपुर, दयानतपुर, परोही, रन्हेरा शामिल हैं। जमीन अधिग्रहण का इन गांवों के ग्रामीणों के जीवन पर सामाजिक एवं आर्थिक प्रभाव जानने के लिए जीबीयू ने सोशल इंपेक्ट ऐससमेंट (एसआइए) किया था। एसआइए के मूल्यांकन के लिए शुक्रवार को विशेषज्ञ समूह की दूसरी बैठक हुई थी। समूह ने उत्तर प्रदेश भू अर्जन नियमावली 2016 के अनुसार एयरपोर्ट के लिए कम से कम जमीन का अधिग्रहण एवं परिवार के विस्थापन को मानते हुए रामनेर एवं मुकीमपुर सिवारा को अधिग्रहण से मुक्त कर दिया। एयरपोर्ट के लिए दोनों गांवों की 250 एकड़ जमीन का अधिग्रहण होना था। इस वजह से मुकीमपुर सिवारा के 452 परिवार को विस्थापित होना पड़ता। रामनेर की आबादी अधिग्रहण के दायरे में नहीं आ रही थी। एयरपोर्ट के रनवे की चारदीवारी की अतिरिक्त जगह को बाहर कर दोनों गांवों में अधिग्रहण से मुक्त किया गया है। हालांकि बनबारीवास गांव को भी अधिग्रहण से मुक्त किया जा सकता है। गांव की करीब सात हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण के दायरे में आ रही है। फिलहाल छह गांवों की 1334 हेक्टेयर जमीन का ही अधिग्रहण होना है। इससे 1905 परिवार विस्थापित होंगे। जेवर एयरपोर्ट के लिए सबसे अधिक जमीन दयानतपुर, रन्हेरा, रोही गांव की है। इसके अलावा 116 हेक्टेयर जमीन ग्राम समाज की है।