ग्रेटर नोएडा से जमात-उल-मुजाहिदीन के दो आतंकवादी गिरफ्तार, बम ब्लास्ट में शामिल होने का शक
ग्रेटर नोएडा: यूपी एटीएस और पश्चिम बंगाल पुलिस ने यहाँ के सूरजपुर के यामाहा तिराहे सेआज सुबह 2 बांग्लादेशी आतंकवादी गिरफ्तार किया हैं।इनकी गिरफ्तारी स्वतंत्रता दिवस से 20 दिन पहले होने से कयास लगाया जा रहा है कहीं ये 15 अगस्त को किसी बड़ी साजिश का हिस्सा तो नहीं हैं।
शुरूआती जानकारी के मुताबिक गिरफ्तार किए गए दोनों आतंकी बांग्लादेश के आतंकवादी संगठन जमात-उल-मुजाहिद्दीन के सदस्य हैं। इन्हें पकड़ने के लिए तीन राज्यों की स्पेशल टास्क फोर्स ने संयुक्त अभियान चलाया था।
इस ऑपरेशन को बंगाल एसटीएफ, यूपी एटीएस और सूरजपुर पुलिस ने मिलकर अंजाम दिया है। दोनों गिरफ्तार आतंकियों के नाम मुशर्रफ हुसैन और रुबेल अहमद नाम है। ये दोनों आतंकवादी कलकत्ता के एक मुकदमे में वांटेड थे। ये दोनों आतंकवादी संगठन जमात उल मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) के सदस्य बताए जा रहे हैं। बंगाल पुलिस को बांग्लादेश में हुए एक बम विस्फोट में इन दोनों संदिग्ध आतंकियों के शामिल होने का शक है।
नोएडा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) डॉ. अजय पाल शर्मा ने बताया कि यूपी एटीएस ने पश्चिम बंगाल पुलिस के साथ मिलकर ज्वॉइंट ऑपरेशन में आतंकवादी संगठन जमात उल मुजाहिदीन के दो संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया है। दोनों की पहचान बांग्लादेश निवासी मुशर्रफ उर्फ मूसा तथा रुबेल अहमद के रूप में हुई है।
एसएसपी ने बताया कि दोनों को ग्रेटर नोएडा के सूरजपुर थाना क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया है। एटीएस, पुलिस और खुफिया विभाग के अधिकारी दोनों से पूछताछ कर रहे हैं।
एनसीआर में किसी बड़ी आतंकवादी घटना को अंजाम देने की थी योजना
वहीं पुलिस सूत्रों का कहना है कि दोनों राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में किसी बड़ी आतंकवादी घटना को अंजाम देने की फिराक में थे। इस संबंध में ज्यादा जानकारी पूछताछ के बाद ही मिलेगी।
सूत्रों का कहना है कि खुफिया विभाग से सूचना मिली थी कि जेएमबी के कुछ सदस्य एनसीआर में अपने संगठन के लिए धन जुटा रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि बंगाल पुलिस दो दिन से खुफिया एजेंसियों की मदद से इन दोनों संदिग्ध आतंकवादियों की तलाश कर रही थी।
जमात उल मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) का गठन वर्ष 1998 में अब्दुल रहमान ने ढाका डिवीजन के पालमपुर में किया था। 2005 में जेएमबी ने एक एनजीओ पर हमला किया था, जिसके बाद बांग्लादेश सरकार ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया था।