इस बेटी ने भी ” दंगल” जीतकर पिता के सपने को किया साकार : जानिए संघर्ष से सफलता तक की कहानी
ग्रेटर एड : दादरी के धूम मानिकपुर स्थित नोएडा कालेज आफ फिजिकल एजूकेशन की बेचलर आफ फिजिकल एजूकेशन (बीपीई) द्वितीय वर्ष की छात्रा दिव्या काकरान ने हरियाणा में आयोजित कुश्ती दंगल में महिला पहलवान पिंकी को पटखनी देकर भारत केसरी का खिताब जीत कर कालेज व परिवार का नाम रोशन किया है। वह परिवार के साथ पूर्वी दिल्ली के गोकुलपुर में रहती है। दिव्या को भारत केसरी के साथ हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने दस लाख नकद व गदा देकर सम्मानित किया है। पुरुष वर्ग में कालेज के एमपीई के छात्र दीपक 86 किलो भार वर्ग में दूसरे स्थान पर रहे। कालेज के निदेशक सुशील राजपूत ने दोनों खिलाड़ियों को शानदार जीत के लिए बधाई दी है।
दिव्या के पिता उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के पुरबालियान गांव के रहने वाले हैं। वर्तमान में वह पूर्व गोकलपुर के ए-ब्लॉक में परिवार के साथ रह रहे हैं। वह नौकरी के सिलसिले में दिल्ली आए थे। यहां नौकरी से गुजारा न होने पर उनकी पत्नी संयोगिता ने पहलवानों के लिए लंगोट बनाना शुरू किया। इन लंगोट को उत्तर प्रदेश, दिल्ली व हरियाणा के विभिन्न अखाड़ों में वह बेच कर परिवार का खर्च चलाते हैं। हरियाणा में उन्होंने लड़कियों को कुश्ती करते देख अपनी लाडली दिव्या को भी पहलवान बनाने का सपना देखा। बड़ा बेटा देव सैन व छोटा बेटा दीपक भी पहलवानी करता है। दिव्या भाई बहन में दूसरे नंबर की है। परिवार के विरोध के बाद भी सूरज ने तीनों बच्चों को कुश्ती सिखाना शुरू किया। दिव्या ने पिता के उम्मीद को उड़ान दी। महज आठ वर्ष की उम्र से ही कोच अशोक गोस्वामी व कोच विक्रम कुमार से कुश्ती की बारीकी सीखनी शुरू की। उसने मिट्टी व मैट के दंगलों में कई पुरुष पहलवानों को भी चित किया।
वर्ष 2012 में दिव्या ने राजस्थान केसरी, 2014 में भरतपुर में महारानी किशोरी का खिताब जीता। वर्ष 2014 में उत्तर प्रदेश केसरी व जम्मू कश्मीर केसरी का खिताब जीता। वर्ष 2013 में मंगोलिया में सब जूनियर एशिया चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल, सर्बिया में जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में पांचवा स्थान, भारतीय राष्ट्रीय खेल 2015 केरल में सीनियर महिला पहलवानों को हराकर तीसरा स्थान प्राप्त किया। जूनियर कैटेगरी में वर्ष 2015 में दो गोल्ड मैडल जीत कर चैंपियन बनी। वर्ष 2015 में दिव्या ने सब जूनियर एशियाई चैंपियनशिप में गोल्ड झटका। दिल्ली ओलंपिक में भी गोल्ड मेडल लिया। इसके अतिरिक्त दिल्ली स्टेट में लगातार 17 बार गोल्ड मेडल व राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अब तक कुल 51 पदक जीत चुकी है।