“जिस लाहौर नहीं देख्या ओ जामई नइ” नाटक मंचन के साथ बिमटेक में 30 वें स्थपना दिवस समारोह “सबरंग’ का आगाज

ग्रेटर नोएडा : बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनजमेंट टेक्नोलॉजी, पूरे गौरव के साथ अपना स्थापना दिवस राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के जन्म दिवस 2 अक्टूबर को मनIते आ रहा है जो कोई संयोग मात्र नहीं है, यह बिरला परंपरा के संस्थापक बी के बिरला एवं स्व सरला बिरला के गाँधी जी से प्रगाढ़ संबंधों को सम्मान देने के लिए किया जाता है।

बिमटेक इस वर्ष अपना 30 वां स्थापना दिवस “सबरंग उत्सव” को आयोजित करते हुए मना रहा है, जिसमे अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम जैसे पारंपरिक और आधुनिक नृत्य, संगीत, कथा वाचन होंगे जो देश के विख्यात कलाकारों द्वारा प्रदर्शित किये जायेंगे. इस उत्सव अन्य मजेदार और मनोरंजक गतिविधियां भी शामिल होंगी।

8 दिनों तक चलने वाले इस समारोह की शुरुआत इंस्टिट्यूट की डिबेटिंग एंड थिएटर सोसाइटी ‘मजलिस’ द्वारा 30 सितम्बर को भावनात्मक नाटक, ‘ जिस लाहौर नहीं देख्या ओ जामई नइ ‘ (जिसने लाहौर नहीं देखा वो जिया नहीं), दिखाकर की गयी, जिसका निर्देशन अरविन्द गौर ने किया है। यह नाटक देश के प्रमुख थिएटरों में एक अस्मिता थिएटर द्वारा सफलतापूर्ण तरीके से मंचित किया गया। अस्मिता थिएटर सौंदर्यवादी अभिनव और सामाजिक रूप से प्रासंगिक मंच नाटकों के लिए प्रतिबद्ध है।

“जिस लाहौर नहीं देख्या वो जामई नाई” 1947 के विभाजन के वक़्त की एक कहानी है, जो लाहौर की एक वृद्ध हिंदू महिला के बारे में थी, जिसके बेटे और परिवार को विभाजन के दंगों में लूट लिया गया था और जिसने लाहौर को छोड़ने से मना कर दिया था. इस महिला की हवेली को एक मुस्लिम परिवार, जिसको लखनऊ से दर्दनाक विस्थापन का सामना करना पड़ा था, को दे दिया गया था पर वो अपने घर से जाने को मना कर देती है.

इस कार्यक्रम में प्रमुख अतिथियों श्री कमल सिंह जी (मुख्य निदेशक, यूनाइटेड नेशंस ग्लोबल कॉम्पैक्ट नेटवर्क) एवं डॉ शिरीष निगम (निदेशक, इ डब्लू नुट्रिशन) के साथ पूरा बिमटेक परिवार, प्रशासन के सम्मानीय अधिकारीगण एवं आस पास का शिक्षा समुदाय भी शामिल थे, जिन्होने नाटक की जमकर सराहना की.

श्रोताओं ने अस्मिता थिएटर समूह के इस दिलचस्प प्रदर्शन का बाखूबी आनंद उठाया, जिसमे नाटक के कलाकारों ने अमानवीय घटना में भी मानवीय संवेदनाओं को जीवित रखा और श्रोताओं की सोई हुई चेतना को जगाने में और कहानी से उनको जोड़ने में सफलता प्राप्त की. इस नाटक के माध्यम से हिंसा, नफरत, पूर्वाग्रह और क्रोध के साक्षी बने विभाजन को प्रेम और स्नेह से खत्म करने का गंभीर सन्देश भेजा गया.

बिमटेक के30 वें स्थापना समारोह एवं दशहरा पर्व की इससे बेहतर शुरुआत नहीं हो सकती थी. 30 सितम्बर से 8 अक्टूबर तक आयोजित होने वाले सबरंग उत्सव के भावपूर्ण कार्यक्रमों का आनंद उठाने के लिए पूरा बिमटेक परिवार उत्साहित है।

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