आदर्श रामलीला सूरजपुर : लगी लंका में आग, क्रोधित हुआ लंकेश्वर
ग्रेटर नोएडा : सूरजपुर कसबे में आदर्श रामलीला कमेटी के तत्वाधान में चल रहे आदर्श रामलीला मंचन के में सीता को कुटिया में न पा कर राम का व्याकुल होना , जटायु उद्धार , शबरी के झूठे बेर खाने और हनुमान मिलन, बाली वध , अशोक वाटिका में हनुमान जी का पहुंचना और लंका दहन का सुन्दर मंचन किया गया। मंचन की शुरुआत में श्री राम और लक्ष्मण जब कुटिया में लौटते हैं तो सीता को न पा कर भगवान राम मूर्छित हो कर गिर पड़ते हैं । विलाप करते हुए राम और लक्ष्मण , सीता की खोज कर रहे हैं। इस दौरान सुनील श्रास्वत ने गोस्वामी तुलसी दास जी द्वारा रचित राम चरित मानस की उस चौपाई को सुनाया गया जिसमे श्री राम के मुख से बार-बार एक ही वाक्य निकल रहा था ‘हे खग मृग हे मधुकर श्रेनी, तुम्ह देखी सीता मृगनयनी’। अथार्त हे पशु पक्षी भौरों वनस्पति यदि तुमने जनकनन्दनी सीता को कहीं देखा है तो मुझे दिखाओ। भगवान श्री राम का विलाप देख श्रद्धालुओं के आँखों से भी आंसू छलक आये।
मंचन के अगले दृश्य में राम का घायल जटायु से मिलना, जटायु का रावण द्वारा सीता हरण की बात बताना , प्रभु राम का जटायु उद्दार करना और शबरी से मिलने के प्रसंग का मंचन किया गया। दृश्य में की शुरआत राम -लक्ष्मण का शबरी के आश्रम में पहुँचने से होता है बेर मीठे हों यह पक्का करने के लिए, शबरी उन्हें खुद चखकर, पक्का करके फिर राम को खाने के लिए दे रही थीं और राम बड़े मजे में उनके जूठे बेर खाते जा रहे थे। बेरों को जूठा देखकर लक्ष्मण खाने से परहेज करते हैं और आंख बचाकर बेर एक ओर फेंकते रहते हैं। राम द्वारा जूठे बेर खाने का प्रसंग देख दर्शक अभिभूत हो गए। प्रभु कृपा पाने के उपाय का उपदेश शबरी को देकर राम- लक्ष्मण का पम्पापुर के ऋषिमुख पर्वत पर पहुँचने, ऋषिमुख पर्वत पर राम लक्ष्मण को देखकर सुग्रीव का भयभीत होना, हनुमान जी का साधु भेष में पहुंचकर राम लक्ष्मण का परिचय लेना, उन्हें अपने कंधों पर बैठाकर सुग्रीव तक लेकर जाना, सुग्रीव से राम की मित्रता करने और सीता को खोजने में राम की मदद करने का वचन देने , बाली वध और सुग्रीव को किष्किन्धा का राजा घोषित करने का प्रसंग मथुरा वृन्दावन धाम के कलाकारों ने मंचित किया। अगले दृश्य में सीता को खोजते हुए हनुमान लंका के अशोक वाटिका पहुँचते हैं। वहां माँ सीता से मिलकर भगवान श्रीराम का संदेश उन तक पहुंचाते हैं और उनसे भेंट के प्रमाण के रूप में चिन्ह लेते हैं। हनुमान अशोक वाटिका में लगे फल खाकर भूख मिटाते हुए वाटिका को तहस.नहस कर देते हैं। उक्त दृश्यों को देख दर्शक रोमांचित हो उठे। अगले दृश्य में रावण की सेना हनुमान जी को बंदी बनाने आती है जिसे हनुमान जी परास्त कर देते हैं। तब मेघनाथ के द्वारा ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया जाता है। हनुमान जी ब्रह्मा के अस्त्र का सामान करते हुए मेघनाथ के हाथ बंदी बन जाते हैं। मेघनाथ हनुमान जी को बंदी बनाकर रावण के दरबार में प्रस्तुत करता है। रावण, हनुमान जी को मृत्यु दंड सुनाता है। तब विभीषण हस्तक्षेप कर बोल पड़ते है ” लंकेश हनुमान जी यहाँ श्री राम के दूत बन कर आये हैं , इन्हे मृत्युदंड देना अनुचित है। वानर की पूछ उसके लिए अनमोल है , आप उनकी पूछ जलवा दें। रावण , विभीषण से सहमत हो जाता है और हनुमान जी की पूँछ में आग लगाने का आदेश देता है। इसके बाद हनुमान जी की पूँछ को आग के हवाले करने का दृश्य मंचित किया गया। आग लगते ही हनुमान जी सैनिकों की चंगुल से निकल कर पूरे सोने की लंका में आग लगा देते हैं। लंका में आग लगते देख लंका पति रावण क्रोधित हो जाता है। हनुमान जी द्वारा सोने की लंका में आग लगाने का दृश्य देख दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए।
रामलीला मंचन का और दशहरा मेला में झूले सर्कस खाने-पीने के व्यंजनों के साथ भरपूर आनंद उठाया। मेले और रामलीला मंचन में हजारों दर्शकों ने भाग लिया। रामलीला मंचन के दौरान मुख्य रूप से आदर्श रामलीला कमेटी के अध्यक्ष श् श्री चंद भाटी महासचिव सत्यपाल शर्मा अध्यक्ष श्रीचंद भाटी, महासचिव सत्यपाल शर्मा, मीडिया प्रभारी कर्मवीर आर्य, मूलचंद शर्मा जयदेव शर्मा , योगेश अग्रवाल, भोपाल ठेकेदार , डॉक्टर धनीराम देवधर , विनोद शर्मा तेल वाले , राजेश ठेकेदार, देवा शर्मा , सुनील सोनक, भूदेव शर्मा, विजेंदर ठेकेदार , रवि भाटी आदि सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद रहे।